अपने परमाणु हथियारों के भंडार में बढ़ोतरी को जायज ठहराते हुए पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा कि उसने ये हथियार भारत के संभावित हमले का प्रतिरोध करने के लिए विकसित किए हैं।
पाकिस्तानी विदेश सचिव एजाज चौधरी ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अमेरिका यात्रा से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे परमाणु कार्यक्रम का एक आयाम है: भारतीय आक्रमण को होने से पहले रोकना। यह युद्ध शुरू करने के लिए नहीं है। यह प्रतिरोध के लिए है।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सामरिक परमाणु हथिार भारत के लिए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ना मुश्किल कर देंगे। चौधरी ने कहा कि भारत ने अपनी उस युद्ध रणनीति के जरिए दोनों देशों की क्षमताओं में अंतर पैदा कर दिया था कि जिसे पाकिस्तान के साथ संभावित युद्ध में इस्तेमाल किया जाता तथा उस दौरान भारत की सेना की कई शाखाएं आक्रामक अभियान चलातीं।
पहली बार है कि इस्लामाबाद के किसी वरिष्ठ अधिकारी की ओर से नयी दिल्ली की युद्ध रणनीति (कोल्ड-स्टार्ट डॉक्ट्रिन) से निपटने को लेकर अपनी योजनाओं को स्पष्ट किया गया है। पाकिस्तान की ओर से अब इस रणनीति को उकसाने वाली रणनीति का नाम दिया गया है।
समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने कहा, ‘‘यह पाकिस्तान की ओर से दिया गया विरला स्पष्टीकरण है कि सामरिक परमाणु हथियार बनाने का फैसला भारतीय आक्रामण के संभावित खतरे से निपटने के लिए किया गया।’’
ऐसी खबरें थी कि अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के लिए करार पर जोर दे रहा है, लेकिन चौधरी ने इस धारणा को खारिज कर दिया और कहा कि पाकिस्तान शरीफ की इस यात्रा के दौरान अमेरिका के साथ ऐसे किसी परमाणु करार पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।
भारत की युद्ध रणनीति का उल्लेख करते हुए चौधरी ने कहा कि इस रणनीति के तहत भारत ने अपनी छावनियों को पहले ही पाकिस्तानी सीमा के निकट कर दिया था। इसके कारण भारत अपने पारंपरिक हथियारों को भी पाकिस्तान की सीमा के निकट तक ले गया।
चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ आक्रमण शुरू करने के लिए जरूरी समय को काफी कम करते हुए भारत ने ‘युद्ध के लिए दायरा तैयार किया’। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी दलील यह है कि जब आप परमाणु शक्ति हैं तो आप युद्ध के लिए दायरा तैयार नहीं करते। युद्ध अब कोई विकल्प नहीं रहा। हमने उस अंतर को भरा है जो भारत ने पैदा किया था। हमें ऐसा करने का अधिकार है।’’
इसी साल अगस्त में अमेरिका के दो बड़े थिंकटैंक ने कहा था कि पाकिस्तान करीब एक दशक में लगभग 350 परमाणु हथियार हासिल कर लेगा जिससे वह दुनिया में अमेरिका और रूस के बार तीसरा सर्वाधिक परमाणु हथियार वाला राष्ट्र बन जाएगा।
पाकिस्तान के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में पाकिस्तानी विदेश सचिव ने कहा कि इस समूह में भारत को शामिल कराने की अमेरिकी नीति भेदभावपूर्ण है।

