बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक विवाद के बीच पाकिस्तान ने कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मोतीउर रहमान निजामी को फांसी दिए जाने को लेकर ‘गहरा दुख’ प्रकट करते हुए बुधवार (11 मई) को कहा कि निजामी का गुनाह सिर्फ यह था कि उन्होंने पाकिस्तान के संविधान एवं कानून को बरकरार रखा था।

विदेश विभाग ने एक बयान में कहा, ‘‘पाकिस्तान जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के अमीर मोतीउर रहमान निजामी को दिसंबर, 1971 से पहले के कथित अपराधों के लिए फांसी दिए जाने से बहुत दुखी है।’’ उसने कहा, ‘‘उनका गुनाह सिर्फ पाकिस्तान के संविधान एवं कानून को बरकरार रखने का था।’’

पाकिस्तान ने कहा कि यह फांसी 1974 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते के खिलाफ है। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट की ओर से निजामी को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम देने के लिए मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान ने ‘गहरी चिंता’ प्रकट की थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया। ढाका ने बीते आठ मई को कहा कि पाकिस्तान को उसके आंतरिक मामलों में संयम बरतना चाहिए।