पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इमरान खान को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के डिप्टी स्पीकर के फैसले को असंवैधानिक बताया। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान का राष्ट्रपति से संसद भंग करने को कहना भी गैरकानूनी था। कोर्ट के फैसले के बाद संसद भंग करने का फैसला भी रद्द हो गया। इसके साथ ही संसद बहाल हो गई है और नौ अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी।

कोर्ट ने यह भी घोषणा की कि प्रधानमंत्री और संघीय मंत्री, राज्य मंत्री, सलाहकार आदि बहाल हो जाएंगे। कोर्ट ने आगे फैसला सुनाया कि अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली का सत्र शनिवार को आयोजित होना चाहिए और प्रस्ताव पर मतदान होने तक स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। यदि इमरान खान की सरकार गिर जाती है, तो सदन के नए नेता को उसी सत्र में चुना जाना होगा। इस दौरान स्पीकर संविधान के अनुच्छेद 54 के खंड (3) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करेंगे।

प्रधानमंत्री इमरान खान ने कोर्ट के फैसले से पहले अपनी कानूनी टीम के साथ एक बैठक की। इसके बाद उन्होंने कहा कि फैसला जो भी होगा उसे पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) स्वीकार करेगी। पाकिस्तान की एआरवाई न्यूज ने यह जानकारी दी। फैसला आने के बाद उन्होंने शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई और कहा कि राष्ट्र को संबोधित करेंगे। कोर्ट ने दिन में मामले पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान पाकिस्तान के चीफ जस्टिस (CJP) उमर अता बांदियाल ने कहा था कि इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के डिप्टी स्पीकर कासिम सुरी के फैसले से आर्टिकल 95 का उल्लंघन था।

सबकुछ संविधान के मुताबिक हुआ तो संकट कहां है? सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के वकील से सवाल किया कि अगर सबकुछ संविधान के मुताबिक हुआ तो फिर संकट कहां है? पाकिस्तानी न्यूज पेपर डॉन की रिपोर्ट के अनुसार याचिका में पूछा गया है कि क्या पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके सहयोगियों के पास संसद भंग करने का कानूनी अधिकार है?

सीजेपी ने संवैधानिक संकट का स्वत: संज्ञान लिया- जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई की शुरुआत में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का प्रतिनिधित्व कर रहे बैरिस्टर अली जफर ने अदालत को 10 मिनट के भीतर अपनी दलीलें पूरी करने का आश्वासन दिया। गौरतलब है कि सीजेपी ने संवैधानिक संकट का स्वत: संज्ञान लिया था, जो सूरी के 3 अप्रैल को प्रस्ताव पर मतदान को “असंवैधानिक” बताने के बाद शुरू हुआ था। उनके इस कदम को विपक्ष ने संविधान का उल्लंघन बताया था। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जज ने रविवार की सुनवाई के दौरान जारी एक लिखित फैसले में कहा कि उनके साथी न्यायाधीशों ने उनसे संपर्क किया था और स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी।

अक्टूबर 2022 से पहले आम चुनाव संभव नहीं- पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ECP) ने कहा है कि अक्टूबर 2022 से पहले आम चुनाव संभव नहीं हैं। ईसीपी को देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सात महीने चाहिए। समाचार एजेंसी एएनआई ने रेडियो पाकिस्तान के हवाले से जानकारी दी है।