पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि कंगाली की नौबत आ चुकी है। ऐसे में अब पाकिस्तान को दूसरे देशों को अपने देश की संपत्ति बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान की कैबिनेट ने विदेशों में संपत्ति बेचने की सभी प्रक्रियाओं को दरकिनार करने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने यह फैसला देश को कर्ज लौटाने से चूकने से बचाने के लिए लिया है।

पाकिस्तान सरकार का ऐसा मानना है कि इस फैसले से देश गर्त में जाने से बच सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने विदेशी देशों को पाकिस्तान की संपत्ति की इमरजेंसी बिक्री के माध्यम से देश को दिवालिया होने से बचाने के लिए छह प्रासंगिक कानूनों को दरकिनार किया इसके अलावा नियामक जांच को भी समाप्त कर दिया। पाकिस्तान सरकार का ये कदम उसकी हताशा और निराशा को दर्शाता है।

अब इन फैसलों को अदालत में भी चुनौती नहीं दी जा सकती

पाकिस्तान सरकार के इस फैसले के बाद अब कैबिनेट कमेटी के फैसलों को न तो अदालतों में चुनौती दी जा सकती है और कोई जांच एजेंसी इन सौदों की जांच कर सकती है। यह अंतर-सरकारी वाणिज्यिक लेन-देन अध्यादेश 2022 कैबिनेट को इतना शक्तिशाली बना देता है कि यह देश के राज्यों या प्रांतो की जमीनों को देने या फिर विदेशी देशों के साथ लेन-देन करने के लिए पूरी छूट दे देता है।

राष्ट्रपति ने नहीं किए हैं हस्ताक्षर

रिपोर्ट में बताया गया है कि अभी तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात ने मई के महीने में पाकिस्तानी बैंकों के खातों रुपये जमा करने से इनकार कर दिया था। क्योंकि पाकिस्तान पिछले कर्ज के रुपये संयुक्त अरब अमीरात को वापस नहीं लौटा पाया था जिसकी वजह से उसने ये कदम उठाया।

बीते 3 महीने में 20 फीसदी गिरा पाकिस्तानी रुपया

पाकिस्तानी मूल के अर्थशास्त्री आतिफ मियां ने कुछ दिन पहले ही इसके लिए एक बड़ी चेतावनी दी थी। आतिफ मियां ने कहा था कि ‘आने वाले दिनों में पाकिस्तानी रुपए की कीमत गिर जाएगी और तब स्थितियां और भी ज्यादा बिगड़ जाएंगी।’ उन्होंने कई बार सोशल मीडिया पर भी पाक को आगाह किया और बीते तीन महीनों के दौरान पाकिस्तानी रुपये में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, ‘देश में ऊर्जा से लेकर दवाईयों और यहां तक खाने की चीजों को भी आयात किया जा रहा है।’