पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया और डरा हुआ है। पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ सामने आ रहा है और भारत ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। भारत ने कई अहम फैसले लिए। इस बीच पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार और वहां की सेना अपने देश में ही घिरती नजर आ रही है। पाकिस्तान के चर्चित जमीयत नेता और सांसद मौलाना फजल उर रहमान ने शहबाज शरीफ सरकार को चेताया है। मौलाना ने अफगानिस्तान से ही पाकिस्तान को बड़ा खतरा बता दिया है।

पाक सेना को मौलाना ने घेरा

भारत-पाक तनाव के बीच मौलाना ने एक वीडियो संदेश में कहा, “कश्मीर का मसला है लेकिन उससे पहले हमें अफगानिस्तान के मसले पर सोचना होगा। जाहिर शाह से लेकर अशरफ गनी तक अफगानिस्तान में भारत समर्थक सरकारें रही हैं। वहां इस्लामिक अमीरात (तालिबान) की सरकार है, जिसे हम कूटनीतिक सफलता से पाकिस्तान समर्थक बनाने में सफल हो सकते थे, लेकिन हमने उन्हें भी खदेड़ दिया है। सीमा (भारत-पाक और अफगानिस्तान-पाक सीमा) के दोनों तरफ मालवाहक वाहनों की लंबी लाइन लगी हुई है और लोगों की संपत्ति बर्बाद हो रही है। ये गलत नीतियां तब तक बनती रहेंगी, जब तक सैन्य सोच के साथ राजनीतिक और आर्थिक सोच को नहीं जोड़ा जाएगा।”

अफगानिस्तान के मुद्दे पर देश एक नहीं- मौलाना

मौलाना ने आगे कहा, “इंडोनेशिया, भारत, मलेशिया, अफगानिस्तान, ईरान, बांग्लादेश और चीन की अर्थव्यवस्थाएं ऊपर जा रही हैं। ऐसा क्या है कि इन सभी देशों के बीच पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है? सेना को मेरा संदेश है कि वह स्वीकार करे कि मौजूदा हालात में उसके पीछे कोई मजबूत राजनीतिक ताकत नहीं है। सिर्फ यह बयान देना कि देश एक ही पेज पर है, काफी नहीं है। आज जब भारत के साथ मुद्दा उठा है, तो पूरा देश एक पेज पर है, हर लड़ाका तैयार है। लेकिन अगर हम इसका विश्लेषण करें तो भारत के मुद्दे पर देश एकमत है, जबकि अगर अफगानिस्तान के मुद्दे पर देश एकमत नहीं है, क्योंकि दोनों की जमीनी स्थिति अलग-अलग है।”

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मौलाना ने कहा कि हम मीडिया पर हो रहे दुष्प्रचार से खुश नहीं होंगे, हमारी सोच और दृष्टिकोण आपसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि इसलिए आपको अपनी राजनीति, अपने लोगों, अपनी अर्थव्यवस्था और संसाधनों के साथ स्पष्ट रुख के साथ बैठना होगा।

पाक सेना को मौलाना का पैगाम

मौलाना ने कहा कि मैंने पहले ही कमेटियों की बैठक में कह दिया है कि जब तक फौज की सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तब तक आप मसले को हल नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि मसला हल तभी होगा जब पॉलिटिकल सोच और इकोनॉमिक सोच होगी। मौलाना ने कहा कि मैं आज फौज को पैगाम देना चाहता हूं कि आप इसको स्वीकार कर लो कि आपके देश में ताकतवर सियासी सोच नहीं है। आपको भी आवाम के समर्थन की जरूरत है, बयान देने से काम नहीं चलेगा कि देश एक है।

मौलाना ने कहा कि आज सब कुछ साफ है और आप मीडिया के जरिए हम पर दबाव बनना चाहते हैं, उससे कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम छोटे बच्चे नहीं है कि मीडिया के जरिए दबाव बनाने से हम शांत हो जाएंगे। मौलाना ने कहा कि हमारी अप्रोच आपसे (शहबाज सरकार) बेहतर है।

कौन हैं फजल उर रहमान?

मौलाना फजल उर रहमान पाकिस्तान की सियासत में काफी बड़ा नाम है और उनके एक इशारे पर पाकिस्तान के किसी भी बड़े शहर में लाखों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से बाहर फेंकने का श्रेय भी मौलाना को ही जाता है। 2022 में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने ही लाया था, जिसके उसे समय अध्यक्ष मौलाना फजल ही थे।

मौलाना फजल उर रहमान अभी जमीयत उलेमा ए इस्लाम के अध्यक्ष हैं। मौलाना फजल उर रहमान 1988 से 2018 तक लगातार पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सांसद रहे और उसके बाद 2024 में फिर से चुने गए। मौलाना 2004 से 2007 तक पाकिस्तान की संसद में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। मौलाना फजल को तालिबान का समर्थक माना जाता है और वह बार-बार उसके समर्थन में आवाज उठाते रहते हैं। मौलाना ने पाकिस्तान में शरिया लागू करने की भी मांग कर डाली है। मौलाना फजल की पाकिस्तान के कई इलाकों में अच्छी पकड़ है और खैबर पख्तूनख्वा में उनकी काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है।