चीन ने एनएसजी में भारत की सदस्यता के अपने विरोध को चीन-भारत के बीच संबंधों से दूर रखने का प्रयास करते हुए कहा कि इससे द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन-भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों में ‘मजबूती’ आई है और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के मुद्दे का द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। ताशकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात से पहले उनका यह बयान आया है।

हुआ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘राष्ट्रपति शी की ताशकंद में प्रधानमंत्री से मुलाकात होने वाली है। हमारा मानना है कि दौरे से हमारे राजनयिक संबंध, सामरिक परस्पर विश्वास और द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ होंगे।’ द्विपक्षीय संबंधों के बारे में उन्होंने कहा, ‘भारत और चीन के बीच संबंधों के विकास पर हमने लगातार सकारात्मक बयान दिए हैं। दोनों उभरते बाजार हैं जो अंतरराष्ट्रीय मामले में ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका हासिल कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं के दौरे से द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आई है। उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए संयुक्त प्रयास करेंगे। हाल में भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की भी चीन की सफल यात्रा रही।’ यह पूछने पर कि एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर भारत-चीन के बीच मतभेदों का संबंधों पर असर पड़ेगा तो हुआ ने कहा, ‘एनएसजी के मुद्दे पर हम अपना रुख रख रहे हैं। हमारा मानना है कि नये सदस्यों को प्रवेश देने के बारे में निर्णय समूह के अंदर चर्चा के माध्यम से होना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस मुद्दे का चीन और भारत के द्विपक्षीय रिश्तों पर असर होगा।’ शी और मोदी ताशकंद में एससीओ बैठक के इतर बैठक करने वाले हैं जहां वह एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर सकते हैं। चीन समूह के 48 सदस्यों के बीच ऐसे देशों के प्रवेश के बारे में आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहा है जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

भारत और पाकिस्तान दोनों ने एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया है और दोनों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है। भारत के मामले को जहां अमेरिका का समर्थन हासिल है वहीं चीन पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। बहरहाल गुरुवार (23 जून) को सोल में एनएसजी बैठक की शुरुआत होते ही चीन की सरकारी मीडिया ने समूह में भारत की सदस्यता के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। एक लेख में चीन के विरोध का बचाव किया गया है और भारत तथा पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों को एक समान बताने का प्रयास किया गया है।