22 अप्रैल को भारत द्वारा पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर सैन्य हमले किए जाने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अहम बयान दिया। उन्होंने नई दिल्ली और इस्लामाबाद से अपील की कि वे आपसी झड़पों को अब रोक दें। ट्रंप का यह बयान उस वक्त आया जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका था।
राष्ट्रपति बोले- उन्हें दोनों देशों की स्थिति की जानकारी है
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें भारत और पाकिस्तान दोनों की स्थिति की जानकारी है और वे चाहते हैं कि अब दोनों देश शांति का रास्ता अपनाएं। उन्होंने कहा, “मेरा रुख साफ है – मैं दोनों देशों के साथ मिलकर काम करता हूं और चाहता हूं कि वे इसे सुलझा लें। वे एक-दूसरे के खिलाफ़ हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि अब वे इसे रोक सकते हैं।”
संघर्ष आगे बढ़ाने को बताया अनुचित
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर वे इस टकराव को रोकने में किसी भी तरह की मदद कर सकते हैं, तो वे हमेशा तैयार हैं। उन्होंने दोहराया कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अच्छे संबंध रखता है और वे नहीं चाहते कि यह संघर्ष आगे बढ़े।
यह बयान उस समय आया है जब भारत ने पहलगाम में हुए एक बड़े आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से सैन्य कार्रवाई की। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी और इसके बाद भारत ने कई राजनयिक और आर्थिक कदम उठाए थे। इनमें पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और सिंधु जल संधि को रोकने जैसे फैसले शामिल थे।
भारत की सैन्य कार्रवाई की खबर मिलते ही ट्रंप एक प्रेस ब्रीफिंग में थे। उन्होंने तुरंत प्रतिक्रिया दी और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह स्थिति जल्द ही शांत हो जाएगी। ट्रंप ने इसे “शर्मनाक” बताया और कहा कि भारत और पाकिस्तान दशकों से लड़ते आ रहे हैं, लेकिन अब यह संघर्ष समाप्त होना चाहिए।
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अपने अनुभव का ज़िक्र करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें दोनों देशों की नीतियों और जनता की भावना की समझ है। उन्होंने कहा, “अगर मैं कुछ मदद कर सकता हूं, तो मैं जरूर वहां मौजूद रहूंगा।”
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि भारत-पाकिस्तान के बीच का तनाव सिर्फ क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शक्तियों के लिए भी चिंता का विषय बन चुका है। ट्रंप की यह पहल उस अंतरराष्ट्रीय दबाव का संकेत है जो अब दोनों देशों पर शांति कायम रखने के लिए बढ़ता जा रहा है।