दक्षिण चीन सागर के विवाद को लेकर बढ़ते मतभेदों के बीच चीन और अमेरिका यहां उच्च स्तरीय सालाना सामरिक और आर्थिक वार्ता में हिस्सा लेंगे। इसमें भारत के एनएसजी में प्रवेश के मुद्दे पर मतभेदों सहित कई मुद्दों पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है। इसे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे व्यापक वार्ता बताया जा रहा है।

इसमें अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी सहित दोनों पक्षों के शीर्ष अधिकारी हिस्सा लेंगे। जहां दोनों देशों के बीच विवाद का बड़ा विषय बने दक्षिण चीन सागर (एससीएस) मुद्दे के दो दिनों की वार्ता में छाए रहने की संभावना है, वहीं ताइवान, तिब्बत के मुद्दे और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत को शामिल किए जाने के मुद्दे सहित कई दूसरे मुद्दों के भी वार्ता में शामिल होने की संभावना है।

अमेरिका ने 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत को शामिल करने का पुरजोर समर्थन किया है जबकि चीन जोर दे रहा है कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत ना करने वाले देशों को शामिल करने के मुद्दे पर सदस्यों के बीच आम सहमति होनी चाहिए। भारत ने एनपीटी को भेदभावपूर्व बताते हुए अब तक उसपर दस्तखत नहीं किया है। अधिकारियों को मुद्दे का हल निकलने की उम्मीद है क्योंकि चीन-अमेरिका वार्ता नौ जून को वियना और 24 जून को सोल में होने वाली एनएसजी की महत्वपूर्ण समग्र बैठकों से पहले हो रही है जिसमें यह मुद्दा उठ सकता है।

भारत के अपना मामला आगे बढ़ाने पर पाकिस्तान ने भी सदस्यता के लिए आवेदन दिया है और खबरें हैं कि चीन अपने सदाबहार साथी का मामला आगे बढ़ा रहा है। भारत ने उच्च स्तरीय कूटनीति के हिस्से के तौर पर शीर्ष चीनी नेतृत्व के साथ यह मुद्दा उठाया है खासकर पिछले महीने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के चीन दौरे में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था।हालांकि चीन ने कहा कि अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर ना करने वाले देशों को लेकर एनएसजी सदस्यों में मतभेद बना हुआ है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘गैर एनपीटी देशों को शामिल करने के मुद्दे पर एनएसजी में चर्चा चल रही है और एनएसजी सदस्य इस पर बंटे हुए हैं।’ मंत्रालय ने नए सदस्यों के एनपीटी पर दस्तखत के मुद्दे पर अपना रूख बरकरार रखते हुए कहा, ‘एनएसजी अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है।’

पाकिस्तान के आवेदन के कथित समर्थन को लेकर मंत्रालय ने कहा, ‘चीन ने एनएसजी सदस्यता के लिए पाकिस्तान के आधिकारिक आवेदन का संज्ञान किया है। पाकिस्तान ने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं।’ चीन-अमेरिका की सालाना वार्ता में दोनों देशों के शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला, खेल और युवा क्षेत्र के उच्च स्तरीय अधिकारी शामिल होंगे। यह दोनों देशों के बीच इस तरह की आठवीं वार्ता है और राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन की सह अध्यक्षता वाली आखिरी बैठक होगी।