प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को दुनिया का सबसे बड़ा खतरा बताते हुए इसे धर्म से अलग करने का आह्वान किया के साथ ही दुनिया से एकजुट होकर ‘राजनीतिक संतुलन’ से ऊपर उठकर एक नयी रणनीति के साथ इसका मुकाबला करने को कहा। पाकिस्तान का नाम लिये बिना उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि कोई देश आतंकवाद का इस्तेमाल, समर्थन या प्रोत्साहन नहीं करने पाये। साथ ही उन्होंने भारत की विविधता को उसकी ताकत बताया।
दुनिया भर में आईएसआईएस समेत विभिन्न आतंकी संगठनों द्वारा युवाओं को लुभाने की कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इंटरनेट आतंकवादियों की भर्ती का जरिया नहीं बनने पाये। पेरिस, अंकारा, माली में हुए हाल के आतंकी हमलों का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘आतंकवाद आज दुनिया का सबसे बड़ा खतरा बन गया है। इसकी कोई सीमा नहीं है। और यह धर्म का नाम लेकर लोगों का अपने लिये इस्तेमाल करता है। लेकिन यह सभी धर्मो के लोगों की हत्या करता है। हमें आतंकवाद से धर्म को अलग करना होगा। विभेद केवल यह होना चाहिए कि कौन मानवता में विश्वास रखते हैं और कौन लोग इसमें नहीं रखते हैं।’’
यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारे समय की इस सबसे बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए दुनिया को एकसाथ आना होगा। हम अपने खुफिया तंत्र की सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकते हैं, हम सेनाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं, हम कानूनी व्यवस्था में सहयोग कर सकते हैं… लेकिन जब मैं कहता हूं कि दुनिया को इसके खिलाफ एकसाथ आना चाहिए तब यह केवल सुरक्षा सहयोग तक ही सीमित नहीं होता है बल्कि इसका आशय यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी देश आतंकवाद का इस्तेमाल न करे और न ही इसे प्रोत्साहित करे।’’
भारत की विविधता को उसकी ताकत बताते हुए मोदी ने कहा, ‘‘आज भारत न सिर्फ एक है बल्कि अपनी विविधता से अपनी शक्ति पाता है। यह एक ऐसा राष्ट्र है जो उसके सभी नागरिकों का है, जहां सभी को संविधान ने समान अधिकारों की गारंटी दी है, अदालत जिनको संरक्षण देती है और सरकार सुरक्षा।’’
प्रधानमंत्री ने 10वें पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में कहा कि इस मंच से हम अक्सर आतंकवाद पर किसी एक क्षेत्र की समस्या के रूप में विचार करते हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन पेरिस, अंकारा, बेरूत, माली की धरती और रूसी विमान पर हुए बर्बर आतंकी हमले इस बात को याद दिलाने के लिए काफी हैं कि आतंकवाद का साया हमारे समाजों और विश्वभर में फैल चुका है। विश्व भर से हो रही आतंकवादियों की भर्तियों और उनके द्वारा दुनिया भर में आतंकी हमले करना इस बात का सबूत है।
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें नये वैश्विक प्रण और नयी वैश्विक रणनीति निर्मित करनी होगी, जो हमारी राजनीतिक मीमांसा को संतुलित करने से परे हो। किसी देश को आतंकवाद का इस्तेमाल या समर्थन नहीं करना चाहिए। समूहों के बीच कोई अंतर नहीं हो। कोई पनाहगाह न हो। कोई वित्त पोषण न हो। हथियारों तक पहुंच न हो।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार एवं गरीबी को समाप्त कर रही है और नीति आधारित ऐसी शासन व्यवस्था बना रही है जहां किसी के साथ भेदभाव का कोई स्थान न हो। उन्होंने कहा कि 18 महीने पहले जब उनकी सरकार सत्ता में आई तब देश के सामने बहुत बड़ी बड़ी चुनौतियां थी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मेरी सरकार इस माहौल को बदलने आई है। हम गरीबी मिटा रहे हैं। जनता को आधुनिक अर्थव्यवस्था के लाभ दिला रहे हैं। हम बैंकों, बीमा तथा ऐसे अनेक कार्यक्रमों के जरिये गरीबों का सशक्तिकरण कर रहे हैं। हम ऐसे ढांचे विकसित कर रहे हैं जिससे उन्हें पानी, बिजली, शिक्षा, अस्पताल, घर जैसी बुनियादी सुविधा मिल सके।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को समाप्त कर रहे हैं। हम सरकार को पारदर्शी और जवाबदेह बना रहे हैं। हम शासन को नीति और व्यवस्था आधारित बना रहे हैं जहां किसी के साथ किसी तरह के भेदभाव का कोई स्थान नहीं है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘बदलाव को पंख लग चुके हैं और अब वह उड़ान भरने को तैयार है और उसने गति भी पा ली है।’’ उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है जो इस समय 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और आने वाले वर्षो में यह दर और बढ़ेगी। मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जबकि विश्व में मंदी छाई हुई है, दुनिया की हर आर्थिक संस्था ने माना है कि भारत सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र या विश्व व्यापार संगठन के कांफ्रेंस कक्ष में किये गये निर्णय भारत के गांव में किसानों के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं, एक स्थान की जीवनशैली, जलवायु या कृषि दूसरे स्थान पर प्रभाव डाल सकती है।
उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे के बाजार और संसाधनों की जरूरत है, हमें मित्र और सहयोगी तलाशने के लिए दूर जाने की जरूरत नहीं है। दक्षिण पूर्व एशिया हमारे समु्द्र और भूमि से जुड़ा पड़ोस है। यह क्षेत्र प्रतिभा, संस्कृति और उद्यमिता से भरपूर है।
मोदी ने आज घोषणा की कि मलेशिया स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र का नाम आजाद हिंद फौज गठित करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा जायेगा और कुआलालंपुर स्थित गांधी स्मारक हॉल में गांधीजी की आवक्ष प्रतिमा स्थापित की जायेगी ।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा द्वितीय विश्वयुद्ध में अपना पराक्रम दिखाने वाले और बलिदान देने वाले मलय-भारतीय सैनिकों के सम्मान में मलेशिया के कम्पार के पास पेराक में युद्धस्थल के पास स्मारक बनाये जाने को लेकर भारत सरकार यहां की सरकार के साथ काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भारत और मलेशिया की ओर से दिये जाने वाली डिग्रियों को तत्काल मान्यता देने के पक्षधर हैं और वह इस बारे में सोमवार को अपने मलेशियाई समकक्ष नजीब से मुलाकात के दौरान चर्चा करेंगे।
उन्होंने मलय-भारतीय छात्रों को वित्तीय मदद प्रदान करने के लिए भारतीय छात्र ट्रस्ट कोष को 10 लाख डॉलर का अनुदान देने की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने ई-वीजा सुविधा पेश की है जिससे यात्रा आसान हो गई है। मलेशिया में हमने नौ वीजा केंद्र खोले हैं। इसके साथ ही कामगारों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ईमाइग्रेंट पोर्टल भी स्थापित किया गया है।

