Nimisha Priya Latest News: भारतीय मूल की निमिषा प्रिया की जान यमन में फिलहाल बच गई है। यमन के अधिकारियों ने बताया है कि निमिषा की फांसी की सजा टाली गई है। दूसरी ओर भारतीय अधिकारी लगातार यमन के जेल और लोकल अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं। भारत सरकार के अधिकारी इस मामले में निमिषा को हर संभव मदद प्रदान कर रहे हैं, जिससे उसकी जान बचाई जा सके।
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, भारत सरकार ने हाल ही में निमिषा प्रिया के परिवार को दूसरे पक्ष के साथ आपसी सहमति से समाधान निकालने के लिए और समय देने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। भारतीय अधिकारी स्थानीय जेल अधिकारियों और अभियोजक कार्यालय के साथ नियमित संपर्क में रहे हैं, जिसके कारण यह स्थगन संभव हो गया है।
निमिषा प्रिया को फांसी की सजा कैसे रुकी?
बता दें कि निमिषा प्रिया की फांसी को भारतीय अधिकारियों की यमन के अधिकारियों की लंबी चर्चा के बाद टाला गया ह है। भारतीय मिशन से जुड़े दो यमनी नागरिक और यमन में एक वार्ताकार, सैमुअल जेरोम भास्करन इस फांसी को टालने में शामिल रहे हैं, जो उसकी जान बचाने के लिए बातचीत कर रहे थे। सरकारी सूत्रों ने कहा कि हम इस मामले पर कड़ी नज़र रख रहे हैं। हम स्थानीय अधिकारियों और उसके परिवार के सदस्यों के साथ नियमित संपर्क में हैं और हर संभव सहायता प्रदान की है। हम मामले पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं।
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बता दें कि निमिषा प्रिया यमन में कार्यरत एक भारतीय नर्स हैं, जिन्हें यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का दोषी ठहराया गया है। केरल के पलक्कड़ जिले की मूल निवासी, निमिषा ने 2017 में हत्या का आरोप लगने से पहले कई वर्षों तक यमन में नर्स के रूप में काम किया था। तलाल की मदद से निमिषा ने अप्रैल 2015 में विदेश में अपना मनचाहा क्लिनिक खोला, जहां उसे कथित तौर पर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण का सामना करना पड़ा।
दस्तावेजों की हेराफेरी करने का मामला
तलाल की भूमिका जल्द ही साथी से शिकारी में बदल गई, जब उसने कथित तौर पर क्लिनिक में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी का दावा करने के लिए दस्तावेज़ों में हेराफेरी की। इसके साथ ही उसका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया और यहां तक कि कानूनी रूप से विवाहित होने का दावा करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र भी जाली बनाया।
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हत्या के गंभीर आरोप
निमिषा पर आरोप है कि अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए महदी को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। हालाँकि, ओवरडोज़ से उसकी मौत हो गई। उसने एक साथी यमनी नर्स की मदद ली, जिसने कथित तौर पर सुझाव दिया कि वे शव को काटकर उसके हिस्सों को पानी की टंकी में फेंक दें। हालाँकि दोनों छिप गए,लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ने में कामयाब रही थी।
यमन में हैं निमिषा प्रिया की मां
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने पिछले साल दिसंबर में संघर्षग्रस्त यमन की यात्रा पर लगे प्रतिबंध से छूट पाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। महदी के परिवार से गुहार लगाने के अपने अंतिम प्रयास में वह अप्रैल 2024 में यमन गई थीं। यमन की राजधानी सना पहुंचने के बाद से निमिषा कुमारी पिछले एक साल से डेरा डाले हुए हैं। जेल में उनकी निमिषा से कुछ मुलाक़ातें हुई हैं। उन्होंने बताया कि मैं पिछले महीने जेल में अपनी बेटी से मिली थी। वह चुपचाप सह रही है।
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सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
गौरतलब है कि पिछले साल जब यमन के राष्ट्रपति ने मौत की सज़ा को मंज़ूरी दी थी, तो दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह उसे और उसके परिवार को हर संभव मदद देंगे। भारतीय सुप्रीम कोर्ट पिछले हफ़्ते 14 जुलाई को निमिषा के मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गया और केंद्र से कहा कि वह इस मामले में उठाए गए किसी भी कदम से उसे अवगत कराए।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने केरल की नर्स को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए, सरकार कुछ खास नहीं कर सकती। इसे कूटनीतिक रूप से मान्यता नहीं मिली है।
सरकार ने कहा कि यमन के साथ संपर्क की एक सीमा है जहां तक भारत सरकार जा सकती है। हम उस सीमा तक पहुंच चुके हैं, हम निजी स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने यमन के एक प्रभावशाली शेख से भी संपर्क किया है और सरकारी वकील से फांसी की सज़ा स्थगित करने का अनुरोध किया है।