फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करते हुए बुधवार (13 अप्रैल) को कहा कि यह कल्पना करना ‘‘बेतुका’’ है कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र विश्व निकाय की इस शक्तिशाली इकाई का अभी एक स्थायी सदस्य नहीं बना है। सरकोजी ने यहां एक उद्योग निकाय द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि भारत जल्द ही विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश होगा और ‘‘यह वास्तव में कल्पना करना बेतुका है’’ कि ‘‘वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है।’’
फ्रांस में वर्तमान में विपक्ष के नेता सरकोजी ने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत के पास सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हो। आप एक अरब भारतीयों को नजरंदाज कैसे कर सकते हैं?’’ उन्होंने स्वयं को ‘‘भारत का मित्र’’ बताते हुए कहा कि भारत के बारे में कुछ ‘‘बहुत विशेष’’ है और उनमें उसके लिए ‘‘गहरा आकर्षण’’ है। उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच एक रणनीतिक साझेदारी होनी चाहिए।
उन्होंने जी20 और डब्ल्यूटीओ जैसे वैश्विक निकायों के ढांचे एवं कामकाज में सुधारों की वकालत की। उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुछ देशों को वीटो पावर जैसे दोहरे दर्जे के खिलाफ हैं। सारकोजी ने कहा कि यदि भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाए तो भारत के साथ फ्रांस की साझेदारी और मजबूत हो सकती है।
उन्होंने करीब 60 करोड़ रुपए के उस राफेल जेट सौदे का उल्लेख किया, जिसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है, उन्होंने साथ ही परमाणु समझौते का भी उल्लेख किया। उन्होंने एक ‘‘प्रतिबद्धता’’ दी कि फ्रांस में अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उनकी पार्टी या जो भी सत्ता में आयेगा वह फ्रांस के साथ भारत के समझौतों का सम्मान करेगी।