एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पाकिस्‍तान आधारित आतंकी ग्रुप ने एक बार फिर से 26/11 जैसा हमला किया तो भारत के लिए संयम बरतना मुश्किल होगा। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने अमेरिका की दक्षिण एशिया में आतंकवाद को लेकर अपनाई जा रही नीतियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्‍तान में भारत विरोधी दो मुख्‍य आतंकी संगठनों लश्‍कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्‍मद को सबसे ज्‍यादा मदद मिलती है। इनसे अमेरिका को भी काफी खतरा है। इस रिपोर्ट का नाम ‘काउंटरटेरेरिज्‍म पिटफाल्‍स: वॉट द यूएस फाइट अगेंस्‍ट आईएसआईएस एंड अल कायदा शुड अवॉयड’ है।

रिपोर्ट के अनुसार, ”हालांकि अल कायदा से आधिकारिक संबंध नहीं है लेकिन उनके लड़ाके अन्‍य आतंकियों और वैश्विक जिहादियों के साथ मिलकर अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान में लड़ते हैं। पाकिस्‍तान और अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा उनसे जो है वह भारत में एक और हमला होगा। कश्‍मीर में भारतीय सुरक्षा बलों पर पिछले साल हुए हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो प्रतिक्रिया थी उससे पता चलता है कि उनकी प्रतिक्रिया काफी सोच-समझी हुई थी। लेकिन 2008 में हुए मुंबई हमले की तरह का एक और हमला होने पर उनके लिए संयम बरतना कठिन होगा।”

पिछले साल उरी में सेना के कैंप पर हमले के बाद भारतीय सेना के जवानों ने नियंत्रण रेखा के पार जाकर सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम दिया था। इस कार्रवार्इ में कई आतंकी मारे गए थे और आतंकी लॉन्‍चपैड्स को भारी नुकसान पहुंचा था। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के लिए पाकिस्‍तानी सेना को तालिबान को बातचीत के लिए मनाने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसमें कहा गया है कि अमेरिका को आतंकवाद का सामना करने के लिए चीन की मदद भी चाहिए होगी। चीन के जरिए वह पाकिस्‍तान को आंतकवाद के खिलाफ मना सकता है।

रिपोर्ट में उल्‍लेख किया गया है कि पाकिस्‍तानी की जिहादी समस्‍या उसकी खुद की बनाई हुई है और यह गहराई तक जड़ें जमा चुकी है। इस बारे में कहा गया है, ”अफगान तालिबान के जिस नेता ने बिना पाकिस्‍तान की अनुमति के अमेरिका या अफगान सरकार से बात की उसे या तो जेल में डाल दिया गया या फिर गायब कर दिया गया है। भारत से रिश्‍तों पर रणनीतिक पुनर्विचार से ही लश्‍कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्‍मद को ध्‍वस्‍त किया जा सकता है।”