नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने नए संविधान पर मधेसियों की चिंताओं का हल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की अपनी यात्रा सोमवार (19 सितंबर) को रद्द कर दी। इस बारे में उन्होंने कहा कि इसे अवश्य ही संशोधन के लिए खुला रखना चाहिए क्योंकि मधेसी और अन्य जातीय समुदाय अभी तक असंतुष्ट हैं। प्रचंड संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71 वें सत्र में शामिल होने के लिए नेपाली प्रतिनिधिमंडल के अगुवा के रूप में सोमवार को न्यूयॉर्क रवाना होने वाले थे। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री ने कई हलकों से आवाज उठाने के बाद देश से बाहर नहीं जाने का फैसला किया है।’ दरअसल, यह कहा जा रहा था कि उन्हें मधेसी, थारू और अन्य जातीय अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताओं और शिकायतों को हल करने की दिशा में काम करने की जरूरत है। इसने कहा है कि प्रचंड के अपनी यात्रा रद्द करने के बाद विदेश मंत्री डॉ प्रकाश शरन महत संरा महासभा में नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि यह उचित समय है कि प्रधानमंत्री संविधान लागू करने पर ध्यान केंद्रित करें और क्षतिग्रस्त ढांचों का पुनर्निर्माण कार्य करें, इसलिए उन्होंने विदेश यात्रा रद्द करने का फैसला किया। इस बीच, नेपाल सेना पेवेलियन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि लोगों की जरूरतों के अनुरूप समय समय पर संशोधन के बाद ही संविधान परिपक्व हो सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान को संशोधन के लिए अवश्य ही खुला होना चाहिए क्योंकि मधेस आधारित समुदाय मौजूदा संविधान से असंतुष्ट बना हुआ है। मधेसियों का कहना है कि संविधान उनके हितों से भेदभाव करता है और उन्हें राजनीतिक रूप से हाशिये पर धकेलता है। नया संविधान लागू होने की प्रथम वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ने नेपाल के लोगों को शुभकामनाएं दीं।