नेपाल के कई वामपंथी दलों ने प्रधानमंत्री प्रचंड की नई दिल्ली की यात्रा के दौरान भारत के साथ किए गए 25 सूत्री समझौते के खिलाफ सोमवार (10 अक्टूबर) को इस महीने के आखिर में संयुक्त रूप से एक विरोध प्रदर्शन शुरू करने की घोषणा की और कहा कि इस समझौते के कुछ हिस्से देश की संप्रभुता को ‘कमतर’ करते है। वाम दलों – सीपीएन-एमएल, सीपीएन-रेवोल्यूशनरी माओइस्ट, सीपीएन-मसल, सीपीएन-मार्क्सिस्ट, पीपुल्स फ्रंट नेपाल, नेशनल पीपुल्स फ्रंट – ने एक बयान में यहां अपने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की। सीपीएन-मसल के महासचिव मोहन विक्रम सिंह ने कहा कि 16 सितंबर को जारी भारत-नेपाल संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में ऐसे विषय हैं जो नेपाल की ‘राष्ट्रीय संप्रभुता को कमतर करते हैं।’

पार्टियों ने बयान में कहा कि कुछ खंड राष्ट्रीय हितों के खिलाफ हैं और उनपर ऐसे समय में हस्ताक्षर किए गए जब पूर्व में भारत एवं नेपाल के बीच हुए ‘असमान एवं राष्ट्रविरोधी’ संधियों को रद्द कर नेपाल को एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर स्थापित करने की जरूरत महसूस की जा रही थी। विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के तहत पार्टियों ने प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार द्वारा देश के साथ किए गए ‘विश्वासघात’ के खिलाफ एक संघर्ष शुरू करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए संयुक्त रूप से एक पर्चा जारी करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि समझौते के खिलाफ 25 अक्तूबर को काठमांडो में एक महारैली का आयोजन किया जाएगा।