Nepal General Elections: नेपाल आम चुनाव में कार्यवाहक प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) दोबारा चुने गए। सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा चुनाव में 25,534 मतों के साथ धनकुटा के गृह जिले से लगातार 7वीं बार चुने गए।
पीएम देउबा ने निष्पक्ष चुनाव के लिए लोगों का शुक्रिया अदा किया: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने संसदीय तथा प्रांतीय चुनाव के शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न होने के बाद नेपाल के लोगों का शुक्रिया अदा किया। देउबा ने एक बयान में कहा कि नेपाल के सभी लोग लोकतंत्र को मजबूत करने और संविधान की रक्षा करने को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
देउबा ने निर्वाचन आयोग, चुनाव के लिए तैनात कर्मचारियों, सुरक्षा बलों, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षकों, राजनीतिक दलों और पत्रकारों का भी उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया
नेपाल में 61 प्रतिशत मतदान: शेर बहादुर देउबा के प्रतिद्वंद्वी सागर ढकाल को चुनाव में 13,042 वोट मिले। नेपाल में 20 नवंबर को हुए संसदीय और प्रांतीय चुनावों के लिए सोमवार को वोटों की गिनती हुई। रविवार को हुए प्रतिनिधि सभा और प्रांतीय विधानसभा के चुनावों के लिए नेपाल में 61 प्रतिशत मतदान हुआ। नेपाल के चुनाव आयोग के अनुसार, 20 नवंबर को हुए संसदीय और प्रांतीय चुनावों में लगभग 61 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया।
वोटिंग के दौरान हिंसा में एक की मौत: वोटिंग के दौरान हुई हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी। न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि बजौरा के त्रिबेनी नगर पालिका के नटेश्वरी विद्यालय में बने मतदान केंद्र पर एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहीं चुनाव संबंधी हिंसा के करण चार जिलों सुर्खेत, गुल्मी, नवलपरासी (पूर्व) और बाजुरा में 15 मतदान केंद्रों पर चुनाव स्थगित किया गया। नेपाल की संसद की कुल 275 सीटों और प्रांतीय विधानसभाओं की 550 सीटों के लिए वोटिंग हुई। 2015 में घोषित किए गए नए संविधान के बाद ये दूसरा चुनाव हुआ।
मतदान प्रतिशत चुनाव आयोग की अपेक्षा से कम: 20 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, नेपाल के मुख्य चुनाव आयुक्त दिनेश कुमार थपलिया ने कहा था कि प्रारंभिक डेटा के आधार पर 61 प्रतिशत मतदान हुआ था। उन्होंने कहा, “हालांकि, यह मतदान प्रतिशत चुनाव आयोग की अपेक्षा से कम है।” मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हिंसा की कुछ घटनाओं को छोड़कर पूरे देश में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हुए। नेपाली मतदाता स्थिर सरकार और विकास की आशा के साथ समय-समय पर होने वाले आम चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं।