भारत सहित दक्षिण एशिया के चार देशों की ओर से दक्षेस शिखर सम्मेलन से अलग रहने का फैसला करने के बाद नेपाल ने बुधवार (28 सितंबर) ‘मजबूती के साथ आग्रह किया’ कि पाकिस्तान में होने वाले इस सम्मेलन में सभी सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए रचनात्मक माहौल पैदा किया जाएगा। नेपाल ने कहा, ‘उसे चार देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और भारत से सूचनाएं मिली है जिनमें उन्होंने कहा है कि वे 9-10 नवंबर को होने वाले 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं ले सकेंगे क्योंकि वर्तमान क्षेत्रीय माहौल रचनात्मक नहीं है।’ उसने अपने विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए बयान में कहा, ‘हमने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया है।’

बयान में कहा गया है कि नेपाल ‘मजबूती के साथ आग्रह करता है’ कि पाकिस्तान में होने वाले इस सम्मेलन में दक्षेस चार्टर की भावना के अनुरूप सभी सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जल्द रचनात्मक माहौल बनाया जाएगा। नेपाल दक्षेस का प्रमुख है। वर्तमान नियम के अनुसार अगर कोई एक सदस्य देश भी खुद को अलग कर लेता है तो दक्षेस शिखर सम्मेलन को स्थगित करना पड़ता है। इस सम्मेलन से खुद को अलग करने वाले देशों ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर ऐसा माहौल पैदा करने का आरोप लगाया है जो इस दक्षेस की बैठक की सफलता के अनुकूल नहीं है। उरी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ पैदा हुए तनाव की पृष्ठभूमि में भारत ने ‘सीमा पार’ हमलों में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए मंगलवार (27 सितंबर) रात ऐलान किया कि वह इस सम्मेलन में भाग नहीं लेगा।

गौरतलब है कि उरी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। बुधवार (28 सितंबर) को भारत द्वारा पाकिस्तान में होने वाले दक्षेस सम्मेलन के बहिष्कार के बाद भूटान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश ने भी सम्मेलन में जाने की घोषणा कर दी। वहीं नेपाल ने सम्मेलन पाकिस्तान से बाहर कराए जाने की मांग की है।