पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों की समीक्षा करने की प्रक्रिया में संशोधन करने वाले एक कानून को रद्द कर दिया। इस फैसले से सार्वजनिक पद धारण करने के लिए आजीवन अयोग्य ठहराये जाने के फैसले को चुनौती देने के इच्छुक पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। शुक्रवार को सर्वसम्मति से लिये गये एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने ये झटका शरीफ परिवार को दिया।

चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने विवादास्पद कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाया। जस्टिस इजाजुल अहसन और जस्टिस मुनीब अख्तर भी बेंच में थे। फैसले में कहा गया कि यह कानून संविधान के प्रतिकूल है। आदेश में कहा गया कि इसे अमान्य मानते हुए रद्द किया जाता है। इसका कोई कानूनी असर नहीं होगा।

शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की समीक्षा का कानून-2023 असंवैधानिक था। पाकिस्तान सरकार ने मई में सुप्रीम कोर्ट में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अपील का अधिकार प्रदान करने के लिए कानून बनाया। निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बड़े भाई नवाज शरीफ को वर्ष 2017 में शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय बेंच ने अयोग्य घोषित कर दिया था। लेकिन वह अपील दायर नहीं कर सके, क्योंकि शीर्ष न्यायपालिका के फैसले को चुनौती देने के लिए कोई कानून नहीं था।

2019 से लंदन में रह रहे हैं नवाज शरीफ

2018 में नवाज सार्वजनिक पद संभालने के लिए आजीवन अयोग्य हो गए थे। 73 साल के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 2019 से उपचार के लिए लंदन में रह रहे हैं। वो पाकिस्तान से तब गए थे जब पाकिस्तानी अदालत ने उन्हें चार सप्ताह की राहत दी थी। तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे शरीफ लंदन रवाना होने से पहले अल-अजीजा भ्रष्टाचार मामले में लाहौर स्थित कोट लखपत जेल में सात साल कारावास की सजा काट रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 62 के तहत राजनेता जहांगीर तरीन को भी अयोग्य ठहराया था। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि अगर आज का फैसला याचिकाओं के पक्ष में रहा होता तो दोनों नेताओं को अपनी अयोग्यता को चुनौती देने का मौका मिल जाता।