पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपने मुल्क वापस लौट आए हैं। चार साल बाद उन्होंने एक बार फिर पाकिस्तान की धरती पर अपनी दस्तक दी है। भ्रष्टाचार के जिन मामलों में वे लिप्त चल रहे हैं, उनमें जमानत के लिए वैसे भी उनका वापस आना जरूरी था, लेकिन इस बार की हुई ये वापसी कई मायनों मेंं अलग है, राजनीतिक समीकरण बदलने वाली साबित हो सकती है और सबसे बड़ा इमरान खान के लिए नई मुश्किलें भी खड़ी हो सकती हैं।
जब शरीफ ने छोड़ा था अपना मुल्क
यहां ये समझना जरूरी है कि जब 6 साल पहले नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल किया गया था, उसमें सेना का पूरा हाथ रहा। उसके बाद लगातार नवाज पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगते रहे, पनामा विवाद ने तो उन्हें अर्श से फर्श पर लाने का भी काम कर दिया। उन तमाम विवादों के बीच ही चार साल पहले नवाज पाकिस्तान छोड़ लंदन चले गए। किसी ने उन्हें भेजा नहीं था, लेकिन वे खुद ही अपने मुल्क को छोड़ दूसरे वतन चले गए।
किस गारंटी पर हुई है वतन वापसी?
अब नवाज शरीफ की जो वापसी हुई है, उसका एक बड़ा कारण ये है कि उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि अब उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाएगी। असल में उन्हें इस बात की गारंटी भी इसलिए है क्योंकि प्रोटेक्टिव बेल दी जा चुकी है। पाकिस्तान में सबसे पहले लैंड होते ही नवाज ने भी जमानत की ही तमाम औपचारिकताओं को पूरा किया और उसके बाद ही लाहोर में एक विशाल रैली को संबोधित किया।
इमरान जेल में, शरीफ पाकिस्तान में, समीकरण बदल गए!
अब उस रैली में तो नवाज शरीफ ने पूरी तरह इमोशनल कार्ड खेलने का काम किया, अपनी उपलब्धियों को गिनाया, पाकिस्तान को कैसे आगे बढ़ाया, इस बात का जिक्र किया और इसके अलावा एक बार फिर आवाम के लिए काम करने की कसमें भी खा लीं। जानकार मानते हैं कि नवाज शरीफ का आत्मविश्वास सिर्फ एक जमानत की वजह से नहीं है, बल्कि इसमें इस्टैब्लिशमेंट या कह सकते हैं आर्मी का भी हाथ है। इस समय इमरान खान जेल में है, तोशखाना केस में इतना बुरा फंस चुके हैं कि बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है।
इसके ऊपर अगले साल जनवरी में पाकिस्तान में आम चुनाव होने जा रहे हैं। जेल में रहते हुए इमरान के लिए अपनी पार्टी के लिए प्रचार करना काफी मुश्किल हो जाएगा। लेकिन दूसरी तरफ नवाज शरीफ और उनकी पार्टी पीएमएल-एन इसका पूरा फायदा उठा सकती है। पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति भी जैसी चल रही है, उसे देखते हुए नवाज शरीफ का वापस आना उनके खुद के पॉलिटिकल करियर के लिए संजीवनी साबित हो ही सकता है, इसके साथ-साथ देश की दिशा भी फिर बदल सकती है।
नवाज का अनुभव और पाकिस्तान को स्थिरता की दरकार
इसे ऐसे समझा जा सकता है कि नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उन पर तमाम तरह के आरोप लगे, लेकिन फिर भी पाकिस्तान के जानकार बताते हैं कि शरीफ की विदेशी नीति और सेना के साथ बैलेंसिंग करने की कला बेमिसाल है। इस समय पाकिस्तान कर्ज में डूबा है, महंगाई झेल रहा है, बेरोजगारी चरम पर है। ये सारी चुनौतियां हैं, जिनका सामने नवाज शरीफ ने बतौर पीएम रहते हुए कई मौकों पर किया है। ऐसे में ये नेरेटिव सेट होने में देर नहीं लगेगी कि एक बार फिर नवाज शरीफ ही पाकिस्तान को इस दलदल से बाहर निकाल सकते हैं।
पंजाब प्रांत से निकल रही सत्ता की चाबी
वैसे नवाज शरीफ की सियासी ताकत भी बताती है कि वे एक बार फिर वापसी कर सकते हैं। असल में पाकिस्तान का जो पंजाब प्रांत है, वहां पर नवाज शरीफ की लोकप्रियता आज भी सातवें आसमान पर है। उनके करीबी बताते हैं कि नवाज कहने को चार साल तक पाकिस्तान नहीं आए, लेकिन जनता के साथ उनका कनेक्ट नहीं टूटा। इसी वजह से जब लाहौर में पूर्व पीएम रैली भी कर रहे थे, उनकी तरफ से लगातार बोला गया कि उनका रिश्ता आज भी जनता के साथ वैसा ही है जैसा पहले था। वे आगे भी जनता के लिए ही काम करना चाहते हैं।
सेना क्या फिर नवाज पर हुई मेहरबान?
पाकिस्तान में तो इस समय थ्योरी ऐसी भी चल रही है कि पहले आम चुनाव इसी साल नवंबर में होने वाले थे, लेकिन नवाज शरीफ की वजह से ही इसे अगले साल जनवरी तक टाल दिया गया। इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सेना एक बार फिर नवाज शरीफ का समर्थन कर रही है। पाकिस्तान की तो वैसे भी जैसी राजनीति रही है, यहां पर सेना जिसके सिर हाथ रख दे, उसका सत्ता में आना तय रहता है। 2018 में इमरान को समर्थन मिला तो उनकी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
चौथी बार पीएम बनने के सपने
पिछले साल जब समर्थन वापस हो गया, देखते ही देखते इमरान की सरकार भी चली गई। अब इस समय माना जा रहा है कि सेना को भी एक नए नेतृत्व की तलाश है, ऐसा नेतृत्व जो पाकिस्तान को फिर स्थिरता वाले दौर में ला सके। जानकारों के मुताबिक इन सभी पैरामीटर्स पर नवाज शरीफ ही सबसे फिट बैठते हैं। बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान में तो साल 2013 से 2017 वाले दौर को राजनीतिक स्थिरता वाला माना जाता है। उस समय बिजली कटौती भी कम हो गई थी और कई जमीनी बदलाव भी किए गए थे। ऐसे में उन काम के बलबूते नवाज शरीफ फिर चौथी बार पीएम बनने के सपने जरूर देख सकते हैं।
