ने पई ताव। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की विपक्ष की नेता आंग सान सू ची से मुलाकात की। इस दौरान सू ची ने भारत में बिताये अपने समय को याद करते हुए कहा कि भारत उनका दूसरा घर है।
69 वर्षीय लोकतंत्र समर्थक नेता सू ची से मोदी की यह पहली मुलाकात थी।
प्रधानमंत्री ने म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली के लिए सू ची के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्हें ‘लोकतंत्र की प्रतीक’ करार दिया।
सू ची से मोदी की मुलाकात के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट किया कि म्यांमार की नेता ने प्रधानमंत्री से कहा कि भारत उनका ‘दूसरा घर’ है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि भारत की प्रशंसा करते हुए सू ची भावुक हो गयीं।
सू ची ने मोदी से कहा कि भारत पहला देश है जहां वह बर्मा (म्यांमार का पुराना नाम) से गयीं थीं। विपक्ष की नेता ने लोकतंत्र के साथ स्थिरता के महत्व को भी रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने सू ची को भगवत गीता पर महात्मा गांधी की व्याख्या की एक विशेष प्रति भेंट की।
जब एक पत्रकार ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री ने म्यांमार की नेता को भारत आने का न्योता दिया है तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘आंग सान सू ची हमेशा भारत आने के लिए आमंत्रित हैं क्योंकि कोई किसी को उसके दूसरे घर आमंत्रित नहीं करता।’’
यहां पार्क रॉयल होटल के प्रेसीडेंशियल सुइट में दोनों की मुलाकात हुई जहां प्रधानमंत्री ठहरे हैं। यह बातचीत उस दिन हुई है जब मोदी ने दुनिया के अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं कीं और 12वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
म्यांमार इस समय इस राष्ट्रीय बहस से गुजर रहा है कि नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की अध्यक्ष और महासचिव सू ची को 2015 के संसदीय चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाए या नहीं। फिलहाल संविधान के एक प्रावधान के चलते उन पर चुनाव लड़ने से रोक लगी है।
सू ची नवंबर 2012 में भारत यात्रा पर आईं थीं। अपने शुरुआती दिनों में वह कई साल तक भारत में रहीं थीं जब उनकी मां डाउ खीन यी भारत में राजदूत थीं। सू ची ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ाई की है और 1987 में कुछ समय शिमला के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी में फेलो के तौर पर भी बिताया है।