प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यहां भारत में असहिष्णुता और 2002 में हुए गुजरात दंगों के बारे में कड़े सवालों का सामना करते हुए आश्वासन दिया कि भारत के किसी भी हिस्से में असहिष्णुता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि ब्रिटेन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करता है। दोनों नेताओं ने असैन्य परमाणु करार पर हस्ताक्षर भी किए। मोदी तीन दिन की ब्रिटेन यात्रा पर गुरुवार को यहां पहुंचे। उन्होंने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की दावेदारी के समर्थन के लिए कैमरन का आभार जताया।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ वार्ता के बाद साझा पत्रकार सम्मेलन में एक पत्रकार ने भारत में हाल की असहिष्णुता की घटनाओं का हवाला दिया और सवाल किया कि भारत क्यों लगातार असहिष्णु स्थल बनता जा रहा है। मोदी ने जवाब में कहा, ‘भारत बुद्ध की धरती है, गांधी की धरती है और हमारी संस्कृति समाज के मूलभूत मूल्यों के खिलाफ किसी भी बात को स्वीकार नहीं करती है’। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के किसी कोने में कोई घटना घटे, एक हो, दो हो या तीन हो सवा सौ करोड़ की आबादी में एक घटना का महत्त्व है या नहीं, हमारे लिए हर घटना का गंभीर महत्त्व है। हम किसी को टालरेट (बर्दाश्त) नहीं करेंगे। कानून कड़ाई से कार्रवाई करता है और करेगा।

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मोदी ने कहा कि भारत एक विविधतपूर्ण लोकतंत्र है जो संविधान के तहत चलता है और सामान्य से सामान्य नागरिकों, उनके विचारों की रक्षा को प्रतिबद्ध है। वहीं एक पत्रकार ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ खड़े कैमरन से सवाल किया कि मोदी का देश में स्वागत करते हुए वे कितना सहज महसूस कर रहे हैं, खासकर इस तथ्य को देखते हुए कि उनके (कैमरन के) प्रधानमंत्री पद के पहले कार्यकाल के समय मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर ब्रिटेन आने की इजाजत नहीं दी गई थी। इस पत्रकार ने मोदी से भी सवाल किया कि उनके लंदन आगमन पर यहां सड़कों पर ये कहते हुए विरोध प्रदर्शन हुए कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते उनके रिकॉर्ड को देखते हुए वे वैसे सम्मान के हकदार नहीं है जिसे सामान्य तौर पर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को दिया जाता है।

कैमरन ने कहा, मुझे मोदी का स्वागत करने में प्रसन्नता है। वे एक विशाल और ऐतिहासिक जनादेश के बाद यहां आए हैं। जहां तक अन्य मुद्दों का सवाल है, उसकी कानूनी प्रक्रियाएं हैं। आज उनका ब्रिटिश सरकार ने स्वागत किया और मैंने उनके साथ इस बारे में चर्चा की कि दोनों देश साथ मिलकर कैसे काम कर सकते हैं’।

मोदी ने जवाब में कहा, ‘अपना रिकॉर्ड दुरुस्त कर लीजिए। 2003 में मैं यहां आया था और मेरा बहुत स्वागत, सम्मान हुआ था। यूके ने मुझे कभी यहां आने से नहीं रोका। कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। मेरे समयाभाव के कारण मैं यहां नहीं आ पाया, यह अलग बात है। कृपया अपना परसेप्शन (नजरिया) ठीक कर लें’।

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2002 के दंगों के बाद अमेरिकी प्रशासन ने मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था। ब्रिटिश सरकार का लंबे समय तक उनके प्रति ठंडा रुख रहा था। लेकिन 2014 के चुनाव से पहले भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त गांधीनगर गए और उनसे मिले। यह इस बात का संकेत था कि ब्र्रिटेन उनके साथ अपने रिश्तों में गर्माहट लाना चाहता है। गोमांस सेवन की अफवाह में उत्तर प्रदेश के दादरी में एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मार दिए जाने की घटना के बाद भारत में असहिष्णुता का मुद्दा सुर्खियों में हैं।

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नेहरु और मनमोहन का जिक्र:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश संसद के अपने ऐतिहासिक संबोधन में भारत और ब्रिटेन से जुड़े इतिहास के बारे में बात करते हुए अपने पूर्ववर्तियों जवाहरलाल नेहरू और मनमोहन सिंह का जिक्र किया। मोदी ने कहा, ‘भारत के आधुनिक इतिहास का बहुत कुछ इस इमारत से जुड़ाव है। हमारे रिश्तों में इतिहास बहुत हद तक जुड़ा हुआ है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि भारत के कई स्वतंत्रता सेनानियों को यहां के संस्थाओं से लक्ष्य मिला। आधुनिक भारत के कई निर्माताओं ने जिसमें जवाहरलाल नेहरु से लेकर डॉक्टर मनमोहन सिंह तक मेरे पूर्ववर्ती भी शामिल थे, वे उस जरिए आगे बढ़े’।