वर्षों तक सैनिक शासन की गिरफ्त में रहा म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली कुछ ही वर्षों तक सीमित रही। वहां वहां फिर से सेना ने कब्जा कर लिया और शीर्ष नेताओं को जेल में बंद कर दिया। सड़कों पर लोकतंत्र बहाली की मांग करने वालों को कुचल दिया जा रहा है। बेहद क्रूरतम तरीके से मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। पूरे देश में लोग आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि सेना उनकी आवाज सुनने के बजाय उनको कुचलने में लगी हुई है। प्रदर्शनकारियों को सीधे गोलियां मारी जा रही हैं। इस बीच वहां के कुछ पुलिस अधिकारी ने सेना का आदेश मानने से इंकार कर दिया और अपनी जान बचाकर किसी तरह छिपते-छिपते भारत आ गए हैं। उन्होंने वहां के सैन्य शासन की बर्बरता और खौफनाक हालात को यहां बताया।
हाल ही में 27 वर्ष के था पेंग नाम के एक पुलिस अधिकारी से कहा था कि वह अपनी मशीनगन से तब तक प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाते रहें, जब तक वे मर न जाएं। इस आदेश को वे नहीं माने। उनसे दूसरे दिन फिर पूछा गया कि वे ऐसा करेंगे कि नहीं, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया और इस्तीफा भेज दिया। इसके बाद वे अपनी और परिवार की जान बचाते हुए लगातार तीन दिन तक छिपते-छिपते भागते हुए भारत के मिजोरम पहुंचे। यहां उन्होंने वहां की दर्दनाक और क्रूरतम हालात को बयान किया। था पेंग नाम का यह पुलिस ऑफिसर म्यांमार के खम्पात शहर में तैनात था। अल-जजीरा में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से छपी खबर के मुताबिक था पेंग ने कहा, ‘मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था.’ पेंग ने बताया कि उसने और उसके छह साथियों ने सीनियर्स का आदेश मानने से इनकार कर दिया।
पेंग और अन्य पुलिस अधिकारियों ने मिजोरम पुलिस को बताया कि आखिर क्यों वे भागकर यहां आए हैं। कहा कि “हमें प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का आदेश था और हमने इस आदेश का पालन नहीं किया। हम लोगों में इतनी हिम्मत नहीं थी कि हम शांति से प्रदर्शन कर रहे अपने ही लोगों को गोली मार सकें।”
गौरतलब है कि म्यांमा में सैन्य तख्तापलट और देश की शीर्ष नेता आन सांग सू ची समेत तमाम राजनेताओं को हिरासत में लिये जाने के बाद देश में लगातार सड़कों पर प्रदर्शन और विरोध की आवाजें उठ रही हैं। वहां मीडिया समेत सभी लोगों पर सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।
सुरक्षा चिंताओं के कारण नाम न जाहिर करने की इच्छा व्यक्त करते हुए सांसद ने कहा, “हमें जागते हुए सतर्क रहना था।” यह तख्तापलट सुबह ऐसे वक्त हुआ जब देश भर से सांसद संसद के नए सत्र के शुरू होने के मौके पर राजधानी में मौजूद थे।