भगोड़े व्यापारी मेहुल चोकसी को भारत लाने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। कैरेबियाई देश के हाई कोर्ट ने शुक्रवार (14 अप्रैल) को कहा कि मेहुल चोकसी को एंटीगुआ और बारबुडा (Antigua and Barbuda) से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है। यह फैसला एक सिविल सूट में आया है जिसे मेहुल चोकसी ने अपने 2021 के अपहरण की जांच की मांग करते हुए दायर किया था। बता दें कि मेहुल चोकसी 13 हजार करोड़ के बैंकिंग घोटाले के मामले में फरार है।
इससे पहले मार्च में सीबीआई को मेहुल चोकसी को वापस लाने के प्रयासों को झटका लगा था। इंटरपोल ने उसके खिलाफ जारी रेड कॉर्नर नोटिस को वापस ले लिया था। इसके बाद उसे दुनिया भर में स्वतंत्र रूप से आने-जाने की अनुमति मिल गई थी।
मेहुल चोकसी के पास एंटीगुआ की नागरिकता है वह घोटाले के बारे में खुलासे के बाद 2017 में देश से भाग गया था। मई 2021 में वह एंटीगुआ से लापता हो गया और बाद में पड़ोसी डोमिनिका में आ गया था। मेहुल चोकसी ने दावा किया है कि भारतीय राज्य के एजेंटों द्वारा उसका अपहरण किया गया था। एंटीगुआ और बारबुडा उच्च न्यायालय में उसने सिविल सूट दायर कर अपहरण का आरोप लगाया था और जांच की मांग की थी।
सूट में कहा गया है कि 23 मई 2021 को मेहुल चोकसी एक ऐसे व्यक्ति के कहने पर जॉली हार्बर के एक विला में गया, जिससे वह पहले मिला था। विला में प्रवेश करने पर वह तुरंत छह से आठ लोगों से घिरा हुआ पता है, जिन्होंने खुद को एंटीगुआ के पुलिस बल होने का दावा किया था।
इसके अलावा हाई कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि डोमिनिकन पुलिस इसकी जांच करे कि मेहुल चोकसी को उसकी इच्छा के खिलाफ जबरन डोमिनिका ले जाया गया था या नहीं? साथ ही कोर्ट ने इसके बारे में सबूत भी पेश करने को कहा है।
बता दें कि सीबीआई पहले ही यह कह चुकी है कि भगोड़ों और अपराधियों को भारत वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करने से पीछे नहीं हटेगी। वहीं यह भी जानकारी दी गई कि पिछले 15 महीनों में 30 से अधिक वांछित अपराधी भारत लौट आए हैं। सीबीआई ने मेहुल चोकसी और अन्य के खिलाफ 15 फरवरी 2018 को पंजाब नेशनल बैंक से धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया था।