पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिका की ओर से उस घातक प्रस्ताव के आने के बाद अपनी टीम से परमाणु करार पर विराम लगाने को कहा था जिसमें भारत के सिर्फ दो परमाणु रिएक्टरों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षामानकों से बाहर रखने की बात की गई थी।
नारायणन की ओर से यह खुलासा उस वक्त किया गया जब अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडलीजा राइस ने वॉशिंगटन में कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह ने 18 जून, 2005 को परमाणु करार के प्रस्तावित ऐलान से एक रात पहले करार पर रोक लगा दी थी क्योंकि भारत में विपक्षी दल इसके खिलाफ खड़े हो गए थे।
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ऐतिहासिक परमाणु करार के 10 साल पूरा होने के मौके पर एक दिन के सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं तथ्य को स्पष्ट करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि यह विचार व्यापक रूप से स्थापित हो गया है कि 17-18 जून की रात मनमोहन सिंह ने करार को रोक दिया था। मेरा मानना है कि इसके बहुत उचित कारण थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘(प्रधानमंत्री कार्यालय और अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के बीच) एक सहमति बनी थी कि जिन परमाणु रिएक्टरों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षामानकों से बाहर रखा जाना है उनकी संख्या कितनी होगी।’’
नारायणन ने उस रात के घटनाक्रम का विवरण देते हुए कहा, ‘‘अमेरिकी विदेश विभाग में ऐसे बहुत से लोग थे जो भारत को सबक सिखाना चाहते थे। जिस समय यह यात्रा होनी थी उस समय तक छह से आठ रिएक्टरों के बारे में सहमति बनी थी लेकिन उसे घटाकर दो कर दिया गया । यह ऐसी संख्या थी जो भारत के विदेश मंत्रालय के दृष्टिकोण से कतई अस्वीकार्य थी। ’’
उन्होंने कहा,‘‘उस रात 12:05 बजे प्रधानमंत्री का रूख यह था कि अगर परमाणु उर्च्च्जा आयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस आंकड़े पर आगे बढ़ने के इच्छुक नहीं है तो करार पर विराम लगा दिया जाए।’’