मालदीव सुप्रीम कोर्ट ने देश के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रथम राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की 13 साल की कैद की सजा सोमवार (27 जून) को बरकरार रखी। पूर्व राष्ट्रपति नशीद फिलहाल ब्रिटेन में निर्वासन में रह रहे हैं। नशीद को आतंकवाद से जुड़े एक आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद मार्च 2015 में यह सजा सुनाई गई थी। संयुक्त राष्ट्र ने इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया था। घोर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना कर रही मालदीव सरकार ने उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने का असमान्य कदम उठाया। दरअसल, इसके पीछे नशीद के दावे को आधार बनाया गया था जिसके तहत उन्होंने कहा था कि मुकदमे की तैयारी के लिए उनके पास पर्याप्त समय नहीं था।
वहीं, न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद ने सोमवार (27 जून) को कहा कि नशीद को अपने बचाव में अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। फिलहाल नशीद की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है। उन्होंने हाल ही में ब्रिटेन में राजनीतिक शरण हासिल की जहां इस साल के शुरू में वह इलाज के लिए गए थे। पूर्व राष्ट्रपति ममून अब्दुल गयूम के तीन दशक के शासन काल में भी वह जेल में रहे थे। वह 2008 में राष्ट्रपति चुने गए थे। वह जलवायु परिवर्तन के जानकार माने जाते हैं।
उन्होंने उस वक्त अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचा था जब उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए समुद्र में पानी के अंदर एक कैबिनेट बैठक आयोजित की थी। लेकिन पुलिस विद्रोह के बाद फरवरी 2012 में उन्हें अपदस्थ कर दिया गया था। नशीद को जेल भेजने को लेकर गयूम के सौतेले भाई राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की आलोचना की जाती रही है। नशीद के जेल जाने के बाद से यामीन के पूर्व सहयोगी अहमद अदीब सहित अन्य को भी कैद की सजा दी गई है।