Afghanistan Blast: अफगानिस्तान (Afghanistan) में हमलों का सिलिसिला बना हुआ है। सोमवार (12 नवंबर) को एक बार फिर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में धमाका (Blast in Kabul) हुआ है। हमलावरों (Attackers) ने काबुल के चीनी होटल (Chinese Hotel) में घुसकर फायरिंग (Firing) भी की। इस हमले में 3 लोगों की मौत हो गई है जबकि 18 लोग घायल हुए हैं। वहीं इस हमले की जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने 3 हमलावरों को ढेर कर दिया। हालांकि पिछले साल से अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद से उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार का दावा किया है, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से भी देश में धमाके, विस्फोट और गोलीबारी होती रही है।
Eye Witness ने बताया धमाके का आंखों देखा हाल
इस धमाके के चश्मदीद (Eye Witness) ने न्यूज एजेंसी एजेंसी एएफपी (AFP News) को बताया कि यह धमाका (Blast) बहुत तेज था धमाके के बाद यहां से गोलीबारी (Firing) भी हुई है। वहीं स्थानीय मीडिया (Local Media) ने भी इसी तरह की जानकारी दी। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की सत्ता में वापसी के बाद से बड़ी संख्या में चीनी व्यापारी (Chinese Merchant) अफगानिस्तान का दौरा कर रहे हैं।
चीनी व्यापारियों (Chinese Merchant) के रुकने की सबसे लोकप्रिय जगह
काबुल के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक शहर-ए-नौ में विस्फोट के बारे में जानकारी मांगने के लिए वहां के सुरक्षा अधिकारी उस समय मौजूद नहीं थे। काबुल जिले के लोंगन होटल की एक बहुमंजिला इमारत में चीनी व्यापारियों के रुकने की सबसे लोकप्रिय जगह है। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद चीनी व्यापारी यहीं पर रुकते थे। पाकिस्तान स्थित तालिबान के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बातचीत में बताया कि अज्ञात संख्या में हमलावर होटल में घुसे थे। उन्होंने बताया, “सुरक्षाबलों ने हमलावरों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है।”
Kabul में है China का अस्थाई दूतावास
एएफपी के संवाददाताओं ने तालिबान विशेष बलों की टीमों को घटनास्थल पर जाते देखा। चीन, जो अफगानिस्तान के साथ 76 किलोमीटर (47 मील) की सीमा साझा करता है, ने आधिकारिक तौर पर तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, लेकिन वहां पूर्ण राजनयिक उपस्थिति बनाए रखने वाले कुछ देशों में से एक है। बीजिंग को लंबे समय से डर था कि अफगानिस्तान झिंजियांग के संवेदनशील सीमा क्षेत्र में अल्पसंख्यक उइगर अलगाववादियों के लिए एक मंचन स्थल बन सकता है।
Taliban और China के बीच है ये समझौता
तालिबान ने वादा किया है कि अफगानिस्तान को उग्रवादियों के आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और बदले में, चीन ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक सहायता और निवेश की पेशकश की है। अफगानिस्तान में दशकों के युद्ध के बाद स्थिरता बनाए रखना बीजिंग का मुख्य विचार है क्योंकि यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के घर, पड़ोसी पाकिस्तान में अपनी सीमाओं और रणनीतिक बुनियादी ढांचे के निवेश को सुरक्षित करना चाहता है।