सादिक खान शुक्रवार को लंदन के पहले मुस्लिम मेयर बन गए हैं। सादिक खान ने बेहद कड़े मुकाबले में कंसरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार गोल्डस्मिथ हरा दिया। सादिक लेबर पार्टी के उम्मीदवार थे। अब वह 2008 से मेयर पर काबिज बोर्स जॉनसन की जगह लेंगे। हालाकिं दूसरे शहरों में लेबर पार्टी का हार का मुंह देखना पड़ा है।
SEE ALSO: लंदन के पहले मुस्लिम मेयरः पाकिस्तानी पिता थे ड्राइवर, भारत से भी जुड़ी हैं जड़ें
स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी स्कॉटिश नेशनल पार्टी और कंसरवेटिव पार्टी के बाद तीसरे नंबर पर रही है। ऐसे में लंदन की यह जीत पार्टी के लिए बेहद अहम है। न्यूयॉर्क के मेयर में सादिक खान की जीत पर उन्हें बधाई भी दी है। 45 वर्षीय सादिक पाकिस्तान मूल के हैं और एक पूर्व मानवाधिकार वकील हैं। वे 2005 से लेबर पार्टी के सांसद हैं।
सादिक के पिता कभी बस ड्राइवर थे। सादिक खान 2009 से 2010 के बीच पीएम गोर्डन ब्राउन की सरकार में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रह चुके हैं। वे कैबिनेट मीटिंग में शामिल होने वाले पहले मंत्री थे। उनकी शादी सॉलिसिटर सादिया अहमद से हुई है। दोनों की दो बेटियां हैं। खान को ब्रिटेन से अपने जुड़ाव पर गर्व है। 1947 में विभाजन के बाद खान के दादा नए बने देश पाकिस्तान चले गए। 1970 में उनके जन्म से कुछ दिन पहले उनके माता-पिता ब्रिटेन शिफ्ट हो गए थे।
कंसरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार गोल्डस्मिथ पर कई मुस्लिम संगठनों ने चुनाव जीतने के लिए धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया था। मुस्लिम संगठनों का आरोप था कि गोल्डस्मिथ चुनाव जीतने के लिए खास तौर पर डिजायन किए गए पर्चे बांट रहे हैं। इन पर्चों में हिंदू, सिख, तमिल वोटरों को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी, 84 के सिख दंगों और श्रीलंका के गृह युद्ध का जिक्र था। मुस्लिम असोसिएशन ऑफ ब्रिटेन ने कहा था कि वे यह देखकर बेहद चिंतित हैं कि किस तरह से कुछ कैंडिडेट्स सीमाएं लांघते हुए इस्लामिक तौर तरीकों या मुसलमानों को निशाना बनाते हुए सपोर्ट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
नागरिक संगठन मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स कमेटी की कैथरीन हेसेलटाइन ने कहा था कि गोल्डस्मिथ मुस्लिम वोटरों के प्रति दिलचस्पी नहीं रखते हैं। कैथरीन के मुताबिक, उनके पर्चे में ”प्रभावशाली ढंग से हिंदुओं को यह बताया जा रहा है कि सादिक मुसलमान हैं।” एक पर्चे में मोदी के लंदन दौरे में उनके और गोल्डस्मिथ की मुलाकात की फोटो है। इसमें यह भी जिक्र है कि खान ने मोदी से मुलाकात नहीं की। ब्रिटेन में 1993 से रह रहे भारतीय मैनेजमेंट कंसलटेंट ऐश मुखर्जी के मुताबिक, गोल्डस्मिथ बेहद छिपे ढंग से खुद को मोदी समर्थक या हिंदू समर्थक के तौर पर पेश कर रहे था।