लीबिया की संयुक्त राष्ट्र समर्थित एकता सरकार ने इस्लामिक स्टेट समूह से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सैन्य हस्तक्षेप से इनकार किया है। साल 2014 के बाद से इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी लीबिया में बढ़ती जा रही है। अमेरिका और रूस सहित करीब 25 देशों ने पिछले महीने जिहादियों से निपटने में लीबिया की मदद करने पर सहमति जताई थी लेकिन प्रधानमंत्री फायेज अलसराज ने बताया कि वह अपनी जमीन पर विदेशी सैनिकों को आने की अनुमति नहीं देंगे।

उन्होंने कहा है ‘यह सच है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की जरूरत है और यह भी सच है कि यह मदद हमें पहले ही मिल चुकी है, लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के बारे में बात नहीं कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि विदेशी सैनिकों की हमारी भूमि में मौजूदगी हमारे सिद्धांतों के खिलाफ होगी। ‘इसके बजाय हमें सैटेलाइट से तस्वीरों, खुफिया और तकनीकी मदद की जरूरत है, न कि बमबारी की।’

त्रिपोली में दो महीने पहले स्थापित राष्ट्रीय एकता की सरकार (जीएनए) हिंसा प्रभावित लीबिया को एकजुट करने और पूरे उत्तर अफ्रीकी देश को अपने नियंत्रण में लेने के लिए प्रयासरत है। बहरहाल, उसे पूर्वी हिस्से से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। पूर्वी हिस्से में बंदूकधारियों और राष्ट्रीय सेना की कुछ इकाइयों को मिला कर विवादित जनरल खलीफा हफतार ने अपनी अलग सेना बना रखी है।

दोनों ही पक्ष लीबिया के तटीय शहर सिरते से इस्लामिक स्टेट समूह को खदेड़ने में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं। सिरते को जिहादियों का गढ़ माना जाता है। जीएनए के प्रति निष्ठा रखने वाले बलों ने बताया कि उन्होंने शहर के पास स्थित जिहादियों के वायु सेना स्टेशन को अपने कब्जे में ले लिया। सराज ने जर्नल दू दिमानचे को बताया कि सिरते में आइएस पर पूरी तरह विजय पा ली गई है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई लीबिया को एकजुट कर पाएगी, लेकिन इसमें समय लगेगा। और यह बात अंतरराष्ट्रीय समुदाय जानता है।