चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन खुरनक इलाके में जिस जगह पर पुल बना रहा है, वह झील का सबसे संकरा हिस्सा है। एक विदेशी रिपोर्टर जैक डेट्स्च ने सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला देकर चीन के खतरनाक इरादों पर अपनी मुहर लगाई है।
NDTV की खबर के मुताबिक ड्रैगन तेजी से पुल निर्माण कर रहा है। चीन पैंगोंग त्सो पर अपने कब्जे वाले हिस्से में पुल का निर्माण कर रहा है। खबर के अनुसार अगस्त 2020 में भारतीय सेना ने पीएलए को साउथ बैंक पर जो शिकस्त दी थी, उसकी चोट उसे गहरी लगी है। हालांकि, कमांडरों की बातचीत के बाद दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियां गतिरोध वाले इलाके से पीछे जरूर हट गई थीं। लेकिन बाद में ऐसी रिपोर्ट आई कि चीन ने उस इलाके में अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना नहीं छोड़ा।
विदेशी पत्रकार जैक डेट्स्च ने 21 दिसंबर, 2021 को सैटेलाइट तस्वीरों के साथ एक ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था- अक्टूबर में सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें दिखाती हैं कि पीछे हटने पर राजी होने के बाद भी चीन पैंगोंग त्सो में अपनी मौजूदगी बढ़ाता जा रहा है। ऐसी खबरें पहले भी आती रही हैं कि एलएसी के उस पार चीन अपनी गतिविधियों को लगातर अंजाम देने में लगा हुआ है। वह निर्माण के साथ भारी हथियार भी जुटा रहा है।
Satellite imagery from Oct shows China continuing to build up a position at Pangong Tso, months after agreeing to disengage w/ Indian troops.
Chinese and Indian tanks were stationed within firing distance of one other near the area in early 2021, per Indian media.
?: @Maxar pic.twitter.com/yO7x0TMd0s
— Jack Detsch (@JackDetsch) December 20, 2021
निर्माणाधीन पुल के तैयार होने के बाद खुरनक से रुडोक के जरिए पैंगोंग के दक्षिण किनारे तक की दूरी 180 किलोमीटर कम हो जाएगी। मतलब तब खुरनक से रुडोक की दूरी पहले के करीब 200 किलोमीटर की जगह लगभग 40-50 किलोमीटर ही रह जाएगी। खास बात है कि तकरीबन 160 किलोमीटर लंबी पैंगोंग त्सो झील लद्दाख और तिब्बत दोनों के हिस्से में पड़ती है। इसका एक-तिहाई से ज्यादा हिस्सा भारत में है और बाकी तिब्बत का है। लेकिन तिब्ब; फिलहाल चीन के कब्जे में है।
2020 के जून में जब गलवान घाटी में चीन की सेना ने आक्रमकता दिखाई थी, उस दौर से यह इलाका भी भारत और चीन के बीच तनाव का कारण बन गया था। हालांकि पिछले साल फरवरी में दोनों देशों की सेनाएं आपसी चर्चा के बाद झील के दोनों किनारों से पीछे हट गई थीं। लेकिन चीन तिब्बत के इलाके में लगातार सड़कों और पुलों का निर्माण कर रहा है, ताकि वह सेना और सैन्य सामग्रियों को तेजी से पहुंचा सके।