Nepal Gen-Z Violent Protest: नेपाल में जेन-जी के विरोध प्रदर्शन के बाद केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद अंतरिम सरकार का गठन हुआ और अब विरोध प्रदर्शन में हिंसा से गोली चलाने के मुद्दे पर केपी शर्मा ओली की पहली प्रतिक्रिया आई है। पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने कहा कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली चलाने का कोई भी आदेश दिया ही नहीं था।
दरअसल, केपी शर्मा ओली ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों पर ऑटोमैटिक बंदूकों से गोलियां चलाई गईं, जो पुलिसकर्मियों के पास नहीं थीं और इसकी जांच होनी चाहिए। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के अध्यक्ष ओली ने नौ सितंबर को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार सार्वजनिक तौर पर बयान दिया और हिंसा के लिए घुसपैठियों को दोषी ठहराया।
केपी शर्मा ने उठाई जांच की मांग
केपी शर्मा ओली ने देश के संविधान दिवस पर जारी एक संदेश में दावा किया, ‘‘सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित बंदूकों से गोलियां चलाई गईं, जो पुलिसकर्मियों के पास नहीं थीं और इसकी जांच होनी चाहिए।’’
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हिंसक विरोध प्रदर्शन में मारे गए थे 72 लोग
गौरतलब है कि आठ और नौ सितंबर को, कथित भ्रष्टाचार तथा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान तीन पुलिसकर्मियों सहित 72 लोग मारे गए थे। ओली ने ‘‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन’’ में ‘‘घुसपैठ’’ का दावा करते हुए कहा कि घुसपैठ करने वाले षड्यंत्रकारियों ने आंदोलन को हिंसक बना दिया और इस तरह हमारे युवा मारे गए। उन्होंने जानमाल के नुकसान पर दुख व्यक्त करते हुए घटना की जांच की मांग की।
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समय कर देगा साजिशों का खुलासा – केपी शर्मा ओली
इसके अलावा केपी शर्मा ओली ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि मेरे पद से इस्तीफा देने के बाद सिंह दरबार सचिवालय और उच्चतम न्यायालय को आग लगा दी गई, नेपाल का मानचित्र जला दिया गया और कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों को आग लगा दी गई। उन्होंने कहा कि मैं इन घटनाओं के पीछे की साजिशों के बारे में विस्तार से नहीं बताना चाहता, समय खुद ही सब बता देगा।
ओली ने संविधान लागू करते समय देश के सामने आई चुनौतियों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि संविधान को सीमा नाकेबंदी और राष्ट्रीय संप्रभुता के विरुद्ध चुनौतियों के बीच लागू किया गया। उन्होंने कहा कि नेपाल की सभी पीढ़ियों को एकजुट होना होगा – हमारी संप्रभुता पर हमले का सामना करने और हमारे संविधान की रक्षा करने के लिए…।
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