लंदन का मैडम तुसाद (Madame Tussauds) संग्रहालय अपने मोम के पुतलों के लिए मशहूर है। लेकिन वहां का चैंबर ऑफ हॉरर्स (Chamber of Horrors) एक अलग ही कहानी कहता है। यहां दुनिया के कुछ सबसे खौफनाक अपराधों को दिखाया गया है। इनमें सबसे चर्चित नाम है जैक द रिपर (Jack the Ripper)। माना जाता है कि उसने 1888 में लंदन के व्हाइटचैपल (Whitechapel) इलाके में कम से कम पांच महिलाओं की बेरहमी से हत्या की थी। हैरानी की बात यह है कि उसे कभी पकड़ा नहीं गया।

लेखक रसेल एडवर्ड्स (Russell Edwards) ने अपनी किताब जैक द रिपर: द बिगेस्ट फोरेंसिक ब्रेकथ्रू सिंस 1888 (Naming Jack the Ripper: The Biggest Forensic Breakthrough Since 1888) में इसे दुनिया का सबसे मशहूर अनसुलझा अपराध बताया है। इस घटना ने लंदन के ईस्ट एंड (London’s East End) इलाके को एक बदनाम जगह बना दिया था।

जैक द रिपर का टाइम और बैकग्राउंड

19वीं सदी के अंत में लंदन का ईस्ट एंड बहुत भीड़भाड़ और गंदगी से भरा हुआ था। वहां शराब की भट्टियां, बूचड़खाने और चीनी की फैक्ट्रियां थीं, जिससे बदबू और प्रदूषण फैलता था। औद्योगिक क्रांति के कारण इस इलाके में कई प्रवासी काम की तलाश में आए थे। इनमें आयरिश और यहूदी शरणार्थी भी शामिल थे।

1881 में रूस के ज़ार अलेक्जेंडर द्वितीय (Tsar Alexander II of Russia) की हत्या के बाद यहूदी लोगों पर हमले शुरू हो गए थे। इसे ‘पोगरोम्स (Pogroms)’ कहा गया, जिसका अर्थ विनाश होता है। इन हमलों से बचने के लिए हजारों यहूदी लोग लंदन आ गए। 1887 तक व्हाइटचैपल में करीब 28,000 यहूदी रह रहे थे। इस बढ़ती भीड़ के कारण इलाके में बेरोजगारी, बीमारियां और अपराध बढ़ गए।

इस इलाके में कई महिलाएं फूल बेचकर, सिलाई का काम करके या खुद को बेचकर गुजारा कर रही थीं। पुलिस ने वेश्यावृत्ति को नजरअंदाज किया ताकि यह व्यापार शहर के दूसरे हिस्सों में न फैले। इन महिलाओं को अक्सर रात में हमला कर दिया जाता था।

कैनोनिकल फाइव (The canonical five) हत्याएं

पांच महिलाओं की हत्याओं को जैक द रिपर से जोड़ा गया है। इन्हें कैनोनिकल फाइव (The canonical five) कहा जाता है। ये महिलाएं थीं: मैरी एन निकोल्स (Mary Ann Nichols), एनी चैपमैन (Annie Chapman), एलिजाबेथ स्ट्राइड (Elizabeth Stride), कैथरीन एडडोवेस (Catherine Eddowes) और मैरी जेन केली (Mary Jane Kelly)।

मैरी एन निकोल्स की हत्या 30 अगस्त 1888 को हुई थी। उन्हें आखिरी बार सुबह 2:30 बजे जीवित देखा गया था। कुछ घंटों बाद उनका शरीर एक सुनसान सड़क पर मिला। उनके गले पर गहरे घाव थे। इसके नौ दिन बाद एनी चैपमैन की हत्या हुई। उनकी हत्या का तरीका भी मैरी एन निकोल्स जैसा ही था। अखबारों ने इन हत्याओं को सनसनीखेज बना दिया। स्टार अखबार ने लिखा: “एक जानवर जैसा हत्यारा आजाद घूम रहा है और महिलाओं को निशाना बना रहा है।”

30 सितंबर 1888 को एक ही घंटे में दो हत्याएं हुईं। ये महिलाएं थीं एलिज़ाबेथ स्ट्राइड और कैथरीन एडडोवेस। इस घटना को डबल इवेंट कहा गया। आखिरी हत्या 9 नवंबर 1888 को हुई थी। मैरी जेन केली का शव उनके कमरे में मिला। डॉक्टर ने बताया कि हत्यारे के पास शारीरिक ज्ञान की कमी थी।

संदिग्ध के रूप में कई लोगों को पकड़ा गया

जैक द रिपर को पकड़ा नहीं जा सका, लेकिन कई लोगों को शक के घेरे में लिया गया। इनमें से एक था चार्ल्स लुडविग, जो एक जर्मन हेयरड्रेसर था। उस पर एक महिला पर चाकू से हमला करने का आरोप था।

एक अन्य संदिग्ध था निकानेर बेनेलियस, जो स्वीडिश यात्री था। उसे एलिजाबेथ स्ट्राइड की हत्या के बाद गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में छोड़ दिया गया। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि हत्यारा एक महिला हो सकती है, जिसे जिल द रिपर (Jill the Ripper) कहा गया। 1970 में एक सिद्धांत आया कि प्रिंस अल्बर्ट विक्टर क्रिश्चियन एडवर्ड (Prince Albert Victor Christian Edward), जो शाही परिवार का सदस्य था, वेश्याओं की हत्या कर रहा था। सबसे चर्चित नाम आरोन मॉर्डके कोस्मिंस्की (Aaron Mordke Kosminski) का था। वह एक यहूदी दर्जी था और गरीबी में जीवन बिता रहा था। कई विशेषज्ञों ने कहा कि वह हत्याओं के स्थानों के बहुत करीब था।

क्या मामला सुलझ पाएगा?

रसेल एडवर्ड्स और डॉ. जरी लोहेलेनन ने 2011 में इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश की। उन्होंने एक शॉल की डीएनए जांच की, जो कैथरीन एडडोवेस की बताई जाती थी। यह शॉल कैथरीन की वंशज करेन मिलर के डीएनए से मेल खाती थी। यह जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची कि जैक द रिपर आरोन कोस्मिंस्की था।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ अब भी इस पर सवाल उठाते हैं। जैक द रिपर की कहानी आज भी रहस्य बनी हुई है। उसकी क्रूरता और उसकी पहचान को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं होती हैं। यह घटना न केवल लंदन की अंधेरी सड़कों की कहानी बताती है, बल्कि उस समय की सामाजिक समस्याओं को भी उजागर करती है।