Israel Iran War: इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध लेबनान, यमन और ईरान तक पहूंच गया है। पूरा मिडिल ईस्ट ही युद्ध की चपेट में है। पिछले साल जब 7 अक्टूबर को इजरायल और हमास के बीच युद्ध की शुरुआत हुई थी, तो संभावना थी कि यह तनाव बढ़ सकता है। अब एक साल बाद यह संभावना सही सबित हुई है। पहले यह टकराव इजरायल और हमास के बीच था लेकिन फिर इसने लेबनान, यमन और ईरान को भी घसीट लिया।

इजरायल ने किए गए अटैक्स को आत्मरक्षा की नीति बताया। इसको लेकर ईरानी राजदूत इराज इलाही ने कहा है कि अगर हम यह भी मान लें कि यह एक आतंकवादी कृत्य था और उन्हें जवाबी कार्रवाई का अधिकार है, तो क्या यह बराबर नहीं होना चाहिए? जवाबी कार्रवाई 40 गुना ज़्यादा है, और फिर भी, गाजा में इस तनाव का कोई अंत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि यह तनाव लेबनान, सीरिया तक फैल रहा है।

ईरान और इजरायल के मुद्दे पर बंटी दुनिया

मिडिल ईस्ट में जारी तनाव को लेकर बंटी दुनिया और सभी के अलग-अलग रुख पर ईरानी राजदूत ने कहा कि लेबनान, सीरिया, ईरान एक अलग गुट में बंटा हुआ है, तो दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका और अरब अलग हैं। उन्होने कहा कि हमें युद्ध विराम के साथ धूल जमने देनी चाहिए, तब इसके समाधान के बारे में सोचा जाएगा।

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भारत ने हमास हमले को आतंकवादी हमला बताया है। वह मानवीय सहायता भी भेज रहा है। वह दो-राज्य समाधान की वकालत कर रहा है। ईरानी राजदूत ने कहा है कि भारत की स्थिति स्पष्ट है। भारत दो स्टेट स्थिति को सपोर्ट करता है लेकिन उसी समय, कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमास के ऑपरेशन को आतंकवादी कृत्य बताया। भारत की स्थिति तर्क संगत है।

भारत निभा सकता है अहम भूमिका

ईरानी राजूदत ने कहा कि एक राजनयिक के रूप में मेरा मानना ​​है कि भारत अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है। भारत युद्ध विराम का समर्थन कर सकता है। भारत इजरायल को युद्ध विराम या तनाव कम करने के लिए मना सकता है क्योंकि तनाव का विस्तार किसी भी क्षेत्रीय देश और यहां तक ​​कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद नहीं है। यह भारत के लिए एक अच्छा अवसर है।

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भारत से ईरान को क्या हैं उम्मीद

भारत से उम्मीद की उम्मीदों पर ईरानी राजदूत ने कहा है कि कूटनीति में भारत अग्रणी है। मैं यह नहीं कह सकता कि भारत को क्या करना चाहिए या भारत क्या कर सकता है। भारतीय नीति निर्माता इस बात से पूरी तरह वाकिफ हैं कि क्या संभव है और वे क्या कर सकते हैं। उन्हें अपना निर्णय खुद लेने दें।

उन्होंने कहा कि हर देश अपने फायदे के लिए किसी भी अवसर का लाभ उठाने की कोशिश करता है। तनाव कम करना भारत के लिए फायदेमंद है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका निभाने से भारत को फायदा होगा, पश्चिम एशिया में भारत की भागीदारी उनके फायदे में है। और भारत के इजरायल, ईरान और विभिन्न खाड़ी देशों के साथ भी अच्छे संबंध हैं, इसलिए यह भारत के लिए एक अच्छा अवसर है।

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चाबहार पोर्ट और भारत-ईरान संबंधों पर क्या बोले?

व्यापार और चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने कहा कि भारत और ईरान स्वाभाविक साझेदार हैं। हमें लगता है कि दोनों देशों को अब संबंधों को रणनीतिक स्तर तक ले जाना चाहिए। ईरान में, हम भारत को एशिया की एक शक्ति के रूप में, दुनिया में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में, दुनिया के एक महत्वपूर्ण देश के रूप में और ईरान के लिए एक अच्छा और विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखते हैं। साथ ही, हम मानते हैं कि ईरान विश्वसनीय हो सकता है और विभिन्न भागों में भारत के लिए एक विश्वसनीय साझेदार रहा है।

उन्होंने कहा है कि हमें दोनों देशों के लाभ के लिए रिश्ते को मजबूत करने के लिए सभी अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। चाबहार सिर्फ एक परियोजना है, भारत को भौगोलिक दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय बाजार तक अपने मार्गों में विविधता लाने की जरूरत है। इसलिए चाबहार और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा भारत के लिए विकल्प हैं।