पाकिस्तान में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को इस्लामाबाद के जिला आयुक्त और तीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के दो नेताओं की हिरासत के मामले में अदालत के आदेशों की उल्लंघना करने पर अवमानना के आरोप के तहत हाईकोर्ट ने ये कार्रवाई शुरू की।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस बाबर सत्तार की अगुवाई में चली सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद के डीसी इरफान नवाज मेमन, एसएसपी जमील जफर, एसपी फारूक बुट्टर और मार्गल्ला थाना प्रभारी नासिर मंजूर उपस्थित थे। मुकदमा शुरू किए जाने के बाद सभी चार अधिकारियों ने आरोपों से इनकार किया। चारों सरकारी अधिकारियों पर पीटीआई नेताओं-शहरयार अफरीदी और शंदाना गुलजार को एमपीओ अध्यादेश के तहत हिरासत में रखने का आरोप है। हाईकोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था।
जस्टिस बोले- जेल जाएंगे तो पता चलेगा कि कैसे वहां रहा जाता है
सरकार की पैरवीर कर रहे महाधिवक्ता अयाज शौकत ने अपनी दलीलें पेश करते हुए अदालत से आग्रह किया कि अधिकारियों पर मुकदमा नहीं चलाया जाए, क्योंकि उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है। जस्टिस सत्तार ने कहा कि हम उन पर केस कैसे नहीं चला सकते? अदालत की अवमानना का मामला चल रहा था, फिर भी आपने एमपीओ आदेश जारी कर दिया।
जस्टिस ने अधिकारियों से कहा कि सजा होने के बाद आपको जेल भेजा जाएगा। इन आरोपों के साबित होने पर छह महीने की सजा होनी है। आप जेल में रहकर देख सकते हैं कि जिन्हें आप जेल भेजते हैं वो वहां कैसे रहते हैं।
ध्यान रहे कि इमरान खान की पार्टी के खिलाफ सरकार ने एक अभियान चलाया था। तमाम नेताओं को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया। शहरयार अफरीदी और शंदाना गुलजार को इसी दौरान गिरफ्तार किया गया था। हालांकि दोनों को कोर्ट से राहत मिल गई थी। लेकिन उसके बाद भी डीसी इरफान नवाज मेमन के आदेश पर एसएसपी जमील जफर, एसपी फारूक बुट्टर और मार्गल्ला थाना प्रभारी नासिर मंजूर ने उनको जेल भेज दिया। दोनों नेताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके सारे मामले से अवगत कराया तो जस्टिस बाबर सत्तार हत्थे से उखड़ गए।