पाकिस्तान में 2012 में लापता हुए 31 साल के एक भारतीय नागरिक को एक सैन्य अदालत ने जासूसी के लिए तीन साल की जेल की सजा सुनायी। जेल के एक प्रवक्ता ने कहा कि हामिद नेहाल अंसारी को रविवार को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कोहट शहर में दोषी करार दिया गया और पेशावर के केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया। उसके पास पाकिस्तान सेना अधिनियम के तहत अपील करने का अधिकार है।

भारत ने अंसारी के लिए वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की पहुंच मांगी थी और पाकिस्तान से उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा था। डॉन अखबार की खबर के अनुसार अंसारी ने जासूसी के लिए अफगानिस्तान के रास्ते गैरकानूनी तरीके से पाकिस्तान में घुसने की बात मानी है। खबर के अनुसार उसके सात फेसबुक खाते और करीब 30 ईमेल पते थे। उसके पास कथित रूप से संवेदनशील दस्तावेज पाए गए।

अंसारी के पाकिस्तान में लापता होने के बाद अधिकारियों ने पिछले महीने माना था कि वह सेना की हिरासत में है और सैन्य अदालत में उसके खिलाफ मामला चल रहा है। अंसारी कथित रूप से एक पाकिस्तानी लड़की से मिलने वहां गया था जिससे उसकी इंटरनेट पर दोस्ती हुई थी। अंसारी के सैन्य हिरासत में होने की सूचना सामने आने के बाद अंसारी की मां फौजिया अंसारी ने अपने बेटे की कथित गैरकानूनी हिरासत के खिलाफ अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी जिसका दो सदस्यीय पीठ ने 13 जनवरी को निपटारा कर दिया।

अदालत ने सरकार से अपने बेटे का अता पता जानने के लिए फौजिया द्वारा दायर याचिका का जवाब देने को कहा था। इसके जवाब में सेना द्वारा अंसारी को हिरासत में रखने और सैन्य अदालत में मामला चलने की जानकारी दी गयी। अंसारी को नवंबर 2012 में कोहट में हिरासत में लिया गया था। तब से उसका अता पता नहीं था।