भारत ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख और पठानकोट आतंकवादी हमले के सरगना मसूद अजहर का नाम सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में शामिल कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र से संपर्क किया है। भारत ने उसके खिलाफ कदम उठाने जोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने न्यूजीलैंड के स्थायी सदस्य और ‘1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति’ के अध्यक्ष जेरार्ड जैकोबस वान बोहमेन को पत्र लिखा है। इसमें अनुरोध किया गया है कि जेईएम के प्रमुख का नाम भी समिति की प्रतिबंध सूची में शामिल किया जाए। पत्र में भारत ने जेईएम की आतंकी गतिविधियों और दो जनवरी के पठानकोट हमले में उसकी भूमिका के बारे में मजबूत सबूतों की जानकारी संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति को दी है। पत्र में कहा गया है कि अजहर को सूची में शामिल नहीं किया जाना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किस प्रकार वह और दक्षिण एशिया में अन्य देश आतंकवादी संगठन और उसके नेता के खतरे का सामना कर रहे हैं।
भारत ने अलकायदा प्रतिबंध समिति की सूची में अजहर को शामिल करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है। भारत ने कहा है कि समिति की यह जिम्मेदारी है कि वह जेईएम जैसे आतंकवादी संगठनों और उनके सरगनाओं से संयुक्त राष्ट्र के देशों और इसके नागरिकों की रक्षा करे। भारत ने कहा कि अजहर को सूची में शामिल करने से यह साबित होगा कि वैश्विक समुदाय आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। वह उसके और उसके संगठन के खतरे से भारत और अन्य देशों के नागरिकों की रक्षा करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने नई दिल्ली में कहा था कि यह बहुत बड़ी खामी है कि जेईएम सूची में शामिल है। लेकिन इसके नेता को इसमें शामिल नहीं किया गया। भारत ने इस बात का भी उल्लेख किया कि पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान ने जैश के कई सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की।
संयुक्त राष्ट्र ने 2001 में जैश ए मोहम्मद को प्रतिबंधित घोषित कर दिया था। लेकिन मुंबई आतंकवादी हमले के बाद अजहर को प्रतिबंधित करने के भारत के प्रयास सफल नहीं हो पाए थे क्योंकि संयुक्त राष्ट्र समूह में वीटो का अधिकार रखने वाले पांच स्थायी सदस्यों में शामिल चीन ने पाकिस्तान के इशारे पर ऐसा नहीं होने दिया था। भारत ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल 11 लोगों और एक संगठन की ताजा सूची 18 फरवरी को प्रतिबंध समिति को सौंपी थी।