पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान संभवतः अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा हैं, जहां आर्थिक तंगी के चलते महंगाई आसमान छू रही है तो दूसरी ओर मुल्क में चुनाव कंप्लीट होने के बावजूद सरकार का गठन न होने के चलते राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति है। ऐसे में वहां आटे दाल की कीमतें आसमान छू रही हैं और लोगों को हर दिन मूल सुविधाओं के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन अब भारत का एक कदम पाकिस्तान को पानी के लिए मोहताज हो चुका है।

दरअसल, भारत में मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के शाहपुर कंडी में रावी नदीं पर बांध का प्रोजेक्ट लेकर आई थी और अब यह बांध बनकर तैयार हो गया है। ऐसे में इस बांध के बनने के बाद रावी नदी का जो पानी बहकर पाकिस्तान जाता था, वो अब हमारी जमीनों को उपजाऊ बनाएगा। इस पानी का उपयोग किसान सिंचाई के लिए करेंगे। इस पुल का सबसे ज्यादा फायदा जम्मू के कठुआ और सांबा जिले में मौजूद 32,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को लाभ होगा।

अब खास बात यह है कि रावी नदी का लगभग 2 मिलियन एकड़ फीट पानी अभी भी माधोपुर के नीचे पाकिस्तान में बिना उपयोग के बह रहा था। इसे अब भारत अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने वाला है। बता दें कि रावी नदी भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बहती है। इसका उद्गम भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में रोहतांग दर्रे के पास होता है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और पंजाब से होकर यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करती है। यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से होकर बहती है।

सिंधु जल संधि को लग सकता है झटका

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि हुई थी, जिसके बाद रावी, सतलुज और ब्यास तीनों नदियों के पानी पर भारत का अधिकार था। वहीं सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर पाकिस्तान का हक है। हालांकि बांध बनने से पहले रावी नदी का पानी बहकर पाकिस्तान जा रहा था। ऐसे में अब जब रावी नदी पर बांध बनने के बाद उसका पूरा पानी भारत का हो जाएगा। इसका इस्तेमाल भारत में सिंचाई और बिजली बनाने में बनाने में करेगा।

भारत बढ़ाएगा पाकिस्तान की मुसीबतों

ऐसे में अगर भारत रावी नदी का पूरा पानी इस्तेमाल करता है तो यह पाकिस्तान के लिए पानी की कमी का कारण भी बन सकता है। एक तरफ जहां पाकिस्तान अभी सरकार के गठन से लेकर आईएमएफ से पुनः लोन लेने की प्लानिंग में उलझा हुआ है और उसे न्यूनतम 6 अरब डॉलर के कर्ज की जरूरत है, तो दूसरी ओर अब उसे पानी का भी हल निकालना होगा। यह दिखाता है कि पाकिस्तान दसों दिशाओं से मुसीबतों का सामना कर रहा है, जिसके चलते उसकी मुसीबतें बढ़ सकती है।