संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत ने म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति पर हाल ही में आई एक रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों को ‘निराधार और पक्षपातपूर्ण’ बताया। इसके साथ ही भारत ने शांति, स्थिरता और वैश्विक निरस्त्रीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने पड़ोसी देश म्यांमार में तत्काल हिंसा रोकने और समावेशी राजनीतिक संवाद शुरू करने की अपनी अपील दोहराई।

म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति पर भारत ने क्या कहा?

संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में मंगलवार को म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति पर संवाद के दौरान भारत की ओर से बयान देते हुए लोकसभा सदस्य दिलीप सैकिया ने कहा कि भारत विश्वास को बढ़ावा देने हुए शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की ओर म्यांमार के आगे बढ़ने के उद्देश्य से सभी पहल का समर्थन जारी रखेगा। उन्होंने कहा, “हम हिंसा को तत्काल समाप्त करने, राजनीतिक कैदियों की रिहाई, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति और समावेशी राजनीतिक वार्ता का आह्वान करते हुए अपने रुख को दोहराते हैं।”

मानवाधिकार और मानवीय मुद्दों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की तीसरी समिति, 2021 के सैन्य तख्तापलट और सैन्य शासन और विरोधी बलों के बीच जारी हिंसा के बीच म्यांमार में बिगड़ती स्थिति पर चर्चा कर रही थी। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भाजपा सांसद डी. पुरंदेश्वरी नीत बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल दिलीप सैकिया ने कहा कि भारत ने म्यांमार के साथ अपने संबंधों में लगातार लोक-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर दिया है।

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भारत ने किया रिपोर्ट को ख़ारिज

म्यांमार की मानवाधिकार स्थिति पर रिपोर्ट में भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक द्वारा की गई टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हुए दिलीप सैकिया ने कहा, “मैं अपने देश के संबंध में रिपोर्ट में की गई आधारहीन और पक्षपातपूर्ण टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करता हूं। अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को म्यांमार से विस्थापित लोगों से जोड़ने का दावा बिल्कुल भी तथ्यात्मक नहीं है।”

दिलीप सैकिया ने इस बात पर जोर दिया कि म्यांमार में बिगड़ती सुरक्षा और मानवीय स्थिति भारत के लिए चिंता का विषय’बनी हुई है, विशेष रूप से इसके सीमा पार प्रभाव के कारण, जिसमें मादक पदार्थ, हथियार और मानव तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराधों से उत्पन्न चुनौतियां शामिल हैं। दिलीप सैकिया ने आगाह किया कि भारत ने कुछ विस्थापित व्यक्तियों में कट्टरवाद का खतरनाक स्तर”देखा है, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति पर दबाव और प्रभाव पड़ रहा है।

दिलीप सैकिया ने संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे गलत और पूर्वाग्रह से ग्रस्त मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा न करें, जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत को बदनाम करना प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि देश में 20 करोड़ से अधिक मुसलमान रहते हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि भारत में वे सभी धर्मों के लोगों के साथ सद्भाव से रह रहे हैं।