भारत ने तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस के साथ मिलकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अफगानिस्तान स्थित बगराम एयरबेस पर कब्ज़ा करने के प्रयास का विरोध किया है। तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताकी की भारत यात्रा से पहले भारत भी ट्रंप की योजना का विरोध करने में शामिल हो गई है।

बगराम का नाम लिए बिना, अफ़ग़ानिस्तान पर मॉस्को फ़ॉर्मेट कंसल्टेशन के प्रतिभागियों द्वारा मंगलवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, “अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में अपने सैन्य ढाँचे को तैनात करने के देशों के प्रयास अस्वीकार्य हैं क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों की पूर्ति नहीं करता।” बगराम हवाई अड्डा, काबुल से लगभग 50 किमी दूर स्थित है। बगराम अफगानिस्तान के सबसे बड़े एयरपोर्ट में से एक है।

ट्रंप ने मांग की है कि तालिबानी बगराम एयरबेस को अमेरिका को सौंप दें

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मांग की है कि अफगानिस्तान के सत्तारूढ़ तालिबानी बगराम एयर बेस को वाशिंगटन को सौंप दें जबकि उन्होंने पांच साल पहले तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसने काबुल से अमेरिका की वापसी का मार्ग प्रशस्त किया था। 18 सितंबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी सरकार बगराम को वापस लेने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “हमने इसे तालिबान को मुफ्त में दे दिया। हम उस हवाई अड्डे को वापस चाहते हैं।” दो दिन बाद उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया, “अगर अफ़ग़ानिस्तान, बगराम एयरबेस को उसे बनाने वालों यानी संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस नहीं करता तो बहुत बुरा होगा!”

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वहीं, तालिबान ने ट्रंप की मांग को खारिज कर दिया है। तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा, “अफगान किसी भी हालत में अपनी जमीन किसी को भी नहीं सौंपने देंगे।”

देशों ने संयुक्त बयान में क्या कहा?

यह घटना तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की इस हफ़्ते के अंत में होने वाली भारत यात्रा से कुछ दिन पहले हुई है। अफगानिस्तान पर मास्को प्रारूप परामर्श (Moscow Format Consultations) की सातवीं बैठक अफगानिस्तान, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के विशेष प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर मास्को में आयोजित की गई। बेलारूस का एक प्रतिनिधिमंडल भी अतिथि के रूप में बैठक में शामिल हुआ।

मॉस्को प्रारूप के संयुक्त बयान में यह भी कहा गया, “पक्षों ने अफगानिस्तान को एक स्वतंत्र, एकजुट और शांतिपूर्ण राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए अपने अटूट समर्थन की पुष्टि की।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को आतंकवाद के उन्मूलन और उसे कम समय में जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से व्यापक उपाय करने में सहायता प्रदान की जानी चाहिए ताकि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल पड़ोसी देशों और उसके बाहर की सुरक्षा के लिए ख़तरा न बने।

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