प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम के बीच आतंकवाद और कट्टरपंथ से मुकाबला करने समेत व्यापक विषयों पर चर्चा की गई। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग समझौता करने के अलावा द्विपक्षीय सहयोग को विस्तार देने के पांच समझौते किए। बातचीत के दौरान भारत ने मालदीव को आश्वस्त किया कि वह क्षेत्र में उसके सामरिक हितों को सुरक्षा प्रदान करने और उसके सशस्त्र बलों के क्षमता उन्नयन और नौवहन के विस्तार समेत सभी संभव मदद करने को तैयार है। यह रक्षा क्षेत्र में कार्य योजना का हिस्सा होगा।

भारत ने मालदीव में बंदरगाहों के विकास जैसी आधारभूत परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का भी निर्णय किया है जहां चीन अपने पांव जमाने का प्रयास कर रहा है। दोनों देशों के बीच कराधान, पर्यटन, रक्षा अनुसंधान और संरक्षण के क्षेत्र में भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। यामीन के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- यह भारत और मालदीव के बीच सहयोग के इतिहास में महत्वपूर्ण दिन है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद के खतरों, कट्टरपंथ की चुनौतियों और हिंद महासागर क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा परिदृश्य के बारे में चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।

मोदी ने कहा- हम मालदीव की जरूरतों के प्रति सजग हैं। राष्ट्रपति यामीन ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि मालदीव हमारे सामरिक और सुरक्षा हितों के प्रति संवेदनशील रहेगा। यह स्पष्ट है कि भारत और मालदीव के संबंधों के आयाम हमारे साझे सामरिक, सुरक्षा, आर्थिक और विकासात्मक लक्ष्यों से परिभाषित होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्थिर और सुरक्षित मालदीव, भारत के सामरिक हित में है और उसकी चुनौती भारत की चिंता है।

अपनी ओर से यमीन ने कहा कि उनका देश ‘इंडिया फर्स्ट’ पालिसी को अपनाता है और उसे मालदीव का सबसे महत्वपूर्ण मित्र मानता है। सार्क का जिक्र करते हुए मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा कि मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इस क्षेत्र की सही क्षमता का उपयोग करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- रक्षा क्षेत्र में ठोस कार्य योजना के तत्परता से लागू होने से रक्षा क्षेत्र में हमारा सहयोग मजबूत होगा। बंदरगाहों के विकास, सतत प्रशिक्षण, क्षमता उन्नयन, उपकरणों की आपूर्ति और नौवहन निगरानी इसके मुख्य तत्व होंगे। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में नेट सुरक्षा प्रदाता के रूप में उसकी भूमिका को समझता है और इस क्षेत्र में उसके सामरिक हितों को सुरक्षित बनाने को तैयार है।

मोदी ने कहा- राष्ट्रपति यमीन और मैं दक्षिण एशिया में सीमा पार आतंकवाद व कट्टरपंथ के बढ़ते खतरों से अवगत हैं। सुरक्षा एजंसियों के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान और मालदीव पुलिस व सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण व क्षमता उन्नयन हमारे सुरक्षा सहयोग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत महत्वाकांक्षी ई-हेवन परियोजना में मालदीव का सहयोगी बनने को तैयार है।

राष्ट्रपति यमीन की आर्थिक सोच के तहत आई-हेवन प्रोजेक्ट एक महत्वपूर्ण परियोजना है और इसका विकास विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के नए कानूनों के तहत किया जा रहा है। रक्षा क्षेत्र में कार्य योजना का मकसद द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने के लिए रक्षा सचिव स्तर पर संस्थागत तंत्र को और पुख्ता बनाना है। यह हिंद महासागर क्षेत्र में दोनों देशों के साझे सामरिक और सुरक्षा हितों को प्रदर्शित करते हैं। दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि भारत एक पुलिस अकादमी स्थापित करेगा, साथ ही मालदीव में रक्षा मंत्रालय की इमारत का निर्माण करने के साथ सुरक्षा से जुड़े आधारभूत ढांचे का विकास करेगा।

दोनों पक्षों ने पर्यटन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाऊस में राष्ट्रपति यमीन के लिए भोज की भी मेजबानी की। दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन से अर्जित आय पर दोहरा कराधान बचाव संधि पर भी हस्ताक्षर किया। इसके साथ ही करों से जुड़े घरेलू कानूनों के प्रशासन और अनुपालन के बारे में जरूरी सूचनाओं का आदान प्रदान करने के लिए समझौता भी किया। इसके साथ ही भारत की ओर से मालदीव में प्राचीन मस्जिदों व ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और बहाल करने के बारे में भी एक अलग सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इन परियोजनाओं से जुडेÞ विस्तृत प्रस्तावों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और मालदीव का धरोहर विभाग अंतिम रूप देगा। दोनों पक्षों ने दक्षिण एशिया उपग्रह के संबंध में समन्वय के समझौते पर भी हस्ताक्षर किए जिसका विकास भारत करेगा।