भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बीफ निर्यातक देश है और वह अपनी यह स्थिति अगले दशक तक बनाए रखेगा। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और आर्थिक सहयोग संगठन (ओईसीडी) की एक रपट में यह जानकारी दी गई है। ओईसीडी-एफएओ कृषि परिदृश्य 2017-2016 रपट यहां इस हफ्ते जारी की गई। इसमें कहा गया है कि भारत ने पिछले वर्ष 15.6 लाख टन बीफ का निर्यात किया था और उम्मीद की जा रही है कि भारत विश्व में तीसरे सबसे बड़े बीफ निर्यातक की अपनी यह स्थिति बनाए रखेगा। भारत 2026 में 19.3 लाख टन के निर्यात के साथ विश्व के 16 प्रतिशत बीफ का निर्यातक होगा।
हालांकि, निर्यात होने वाले बीफ के प्रकार को स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन ज्यादातर निर्यात होने वाला मांस भैंसों का रहा है। जैसा कि रपट बताती है कि म्यांमार ने भारत से जानवरों का आयात किया। ओईसीडी के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले साल 363,000 टन बीफ का आयात किया था और अगले दशक तक यह आंकड़ा बना रहेगा।
एफएओ के अनुसार, 2016 में कुल 1.09 करोड़ टन बीफ निर्यात हुआ था और 2026 तक 1.24 करोड़ टन की वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। इस रपट में विश्व में बीफ निर्यातक देशों में ब्राजील पहले स्थान पर, जबकि आस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है।
एक रिपोर्ट की माने तो बीफ (गोमांस) को लेकर भाजपा चाहे कितना भी हल्ला मचाए पर सच यह है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद न केवल मांस का निर्यात बढ़ा है बल्कि नए बूचड़खाने खोलने व उनके आधुनिकीकरण के लिए 15 करोड़ रुपए की सबसिडी दी रही है। सबसे अहम बात तो यह है कि भले ही हिंदूवादी संगठन धार्मिक आधार पर इसका विरोध कर रहे हों पर सच्चाई यह है कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू हैं।
आम धारणा यह है कि मांस का व्यापार गैरहिंदू विशेषकर मुसलमान करते हैं पर तथ्य बताते हैं कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू है। ये हैं -अल कबीर एक्सपोर्ट (सतीश और अतुल सभरवाल), अरेबियन एक्सपोर्ट (सुनील करन), एमकेआर फ्रोजन फूड्स (मदन एबट) व पीएमएल इंडस्ट्रीज (एएस बिंद्रा)। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के राज्य गुजरात में जहां एक ओर नशाबंदी लागू है, वहीं नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद मांस का उत्पादन काफी बढ़ गया। उनके सत्ता में आने के पहले गुजरात का सालाना मांस निर्यात 2001-2 में 10600 टन था जो कि 2010-11 में बढ़कर 22000 टन हो गया।