भारत और चीन के बीच सीमा विवाद इस समय दुनियाभर में सुर्खियां बंटोर रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर कई बैठकें भी हो चुकी हैं। भारत के साथ-साथ सीमा को लेकर चीन का विवाद 17 अन्य और मुल्कों से भी है। चीन की चाहत विस्तारवाद की रही है। वह अक्सर अपने आस-पास के देशों में सीमा को लेकर उल जलूल दावे करता रहा है और सीमा विवाद को लेकर अडिग रहा है। जम्मू-कश्मीर से लेकर सिक्किम, अरुणांचल प्रदेश, तक के इलाकों पर चीन की नजरें रही हैं। चीन दावा करता है कि मैकमोहन रेखा के जरिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन दबा ली है।हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद को निपटाने के लिए 1914 में भारत तिब्बत शिमला सम्मेलन बुलाया गया।
चीन भूटान सीमा विवाद: जुलाई 2017 में, भूटानी के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीमा पर चीनी अतिक्रमणों के खिलाफ बात की और चीन को सीमा निपटान के लिए प्रक्रिया का सम्मान करने के लिए कहा था। डोकलाम विवाद के बाद खबरें आईं थी कि चीन अभी भी भूटान की सीमा के पास गश्त कर रहा है। इतनी ही नहीं इस दौरान कहा गया कि चीन भूटान के इलाके में भी घुसपैठ की।
इतना ही नहीं , चीन का ताइवान, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और जापान के साथ समुद्री संघर्ष भी है। गहरे संसाधनों के कारण, चीन “ऐतिहासिक अधिकारों” के आधार पर इन इलाकों में दावा करता रहा है।
नेपाल के साथ भी है विवाद: चीन पर नेपाल के क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप है। नेपाली कांग्रेस के तीन सदस्यों ने प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव रखा था जिसमें ओली सरकार को देश के क्षेत्र को बहाल करने के लिए कहा गया था। चीन ने नेपाल के उत्तरी जिले गुमला, रासुवा, सिंधुपालचौक और संखुवासभा पर अतिक्रमण किया है।
पूर्वी चीन सागर: चीन के उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ पीले सागर (उत्तर कोरिया / दक्षिण कोरिया) और पूर्वी चीन सागर (दक्षिण कोरिया / जापान) में विशेष आर्थिक क्षेत्र विवाद हैं। चीन का वियतनाम, जापान, ताइवान, फीलिपिंस, नार्थ कोरिया, रुस, सिंगापुर, साउथ कोरिया, लाओस, तजाकिस्तान, कंबोडिया, मंगोलिया और तिब्बत के साथ भी विवाद है।