अमेरिका की एक फॉरेन पॉलिसी से जुड़ी मैगजीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत कर्नाटक में एक सीक्रेट न्यूक्लियर सिटी बना रहा है ताकि वहां वो थर्मोन्यूक्लियर हथियार बना सके। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2017 में इसके बनकर पूरा होने के बाद यह पूरे उपमहाद्वीप का परमाणु हथियारों, अटॉमिक रिसर्च लैबों, हथियारों और एयरक्राफ्ट टेस्टिंग सेंटर के मामले में सबसे बड़ा मिलिट्री ऑपरेटेड कॉम्प्लेक्स होगा। इस रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से प्रेरित और प्रायोजित लगती है जो भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम की एक खास तस्वीर पेश करना चाहती है। इसका तथ्यों से कोई लेनादेना नहीं है।
यह रिपोर्ट एड्रियन लेवी नाम के उस लेखक की ही है, जिन्होंने पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़ी मशहूर किताब, ”डिसेप्शन: पाकिस्तान, द युनाइटेड स्टेटस एंड द सीक्रेट ट्रेड इन न्यूक्लियर वेपंस” लिखी है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह न्यूक्लियर शहर मैसूर से 260 किमी दूर चल्लाकेरे में बनाया जा रहा है। यह शहर देश को न्यूक्लियर ताकत के क्षेत्र में बेहतर बनाएगा, जिससे भारत के दो पड़ोसी पाकिस्तान और चीन अस्थिर होंगे।
वे इसे उकसावे के तौर पर देखेंगे। वे भी अपने न्यूक्लियर ताकत को बढ़ाकर जवाब देंगे। वाइट हाउस के एक पूर्व अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि मैसूर पर लगातार नजर रखी जा रही है। हालांकि, रिपोर्ट में अमेरिका या भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी को शामिल नहीं किया गया है। बता दें कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, भारत के पास 90 से 110 के बीच न्यूक्लियर वॉरहेड हैं। वहीं, पाकिस्तान के पास 120 और चीन के पास 260 हैं।