संयुक्त राष्ट्र द्वारा कश्मीर पर जारी की गई रिपोर्ट का भारत लगातार विरोध कर रहा है। 14 जून को संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय (यूएनएचआरसी) द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट को भारत द्वारा पहले ही ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और दुर्भावना से प्रेरित’ बताया जा चुका है। अब एक बार फिर यूएन में भारत द्वारा इस रिपोर्ट की धज्जियां उड़ाई गई हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने इस रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा, ‘यूएनएचआरसी की रिपोर्ट अधिकारी के पक्षपातपूर्ण रवैये को प्रतिबिंबित करती है। बिना किसी जनादेश का पालन करे और असत्यापित स्रोत द्वारा दी गई जानकारियों पर विश्वास करके ये रिपोर्ट तैयार की गई है। यह दस्तावेज उस फोरम के सदस्यों के सामने फिट नहीं बैठता है, जहां इसे सौंपा गया है।’ लाल ने यह बात यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में कही।
पाकिस्तान द्वारा सोमवार (9 जुलाई) को एक बार फिर यूएन सेशन में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया गया था, ऐसा पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तान की तरफ से तीसरी बार किया गया था। पाकिस्तान द्वारा इस तरह की कोशिश करने पर भारत ने इसका विरोध करते हुए पाकिस्तान को जमकर लताड़ा। लाल ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा इस तरह की कोशिश करके वह अपने राज्य में बढ़ रहे आतंकवाद को छिपा नहीं सकता। ऐसी कोशिशें पहले भी यूएन के फोरम में सफल नहीं हुई थीं और अब भी नहीं होंगी।
Such deliberate self-serving attempts by Pakistan seek to obfuscate reality of their own use of terrorism to undermine state sovereignty. Such attempts have not succeeded in the past in any forum & will not do so now: Tanmaya Lal, Deputy Permanent Representative of India to UN pic.twitter.com/vqJtUfNe9q
— ANI (@ANI) July 10, 2018
दरअसल, यूएन की रिपोर्ट में कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर- दोनों में कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर चिंता जाहिर की गई है और इन उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की गई है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान को शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंक रोधी कानूनों का दुरूपयोग रोकने और असंतोष की आवाज के दमन को भी बंद करने को कहा है। भारत द्वारा पहले भी इस रिपोर्ट का विरोध किया जा चुका है। भारत का कहना है कि जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि जम्मू- कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है, जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मनमाने तरीके से पाकिस्तानी राजनयिक को वहां का प्रमुख नियुक्त किया जाता है।