पीएम मोदी की सरकार जिस घड़ी का सिद्दत से इंतजार कर रही थी, अब वो घड़ी आ गई है। जी हां, बात हो रही है भारत और बांग्लादेश के बीच जून में हुए समझौते के दौरान जमीन की अदला बदली की।
गौरतलब है कि दो देशों के बीच जून में किया गया यह एक ऐतिहासिक समझौता था, जिसका जहां एक ओर कई लोग विरोध कर रहे थे तो कई इसकी सराहना। ऐसे में अब वो घड़ी आ चुकी है जब इस समझौते को अंतिम रूप दिया जाए।
बताते चलें कि इस समझौते की मुहर पर वैसे बांग्लादेश की संसद ने तो 1974 में ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन समझौते के लिए जमीन की अदला-बदली के लिए भारत में संविधान संशोधन की जरूरत हुई, जिसके चलते समझौते को आखिरी रूप देने में इतना वक्त लग गया।
यही वजह है कि शुक्रवार की रात को दोनों देशों के बीच हुए समझौते को आज अमलीजामा पहनाया जाएगा। इस समझौते के तहत भारत की 111 कलोनियां बांग्लादेश की हो जाएंगी, जबकि बांग्लादेश की 51 कॉलोनियां भारत में समाहित की जाएंगी।
आपको बता दें इस समझौते के तहत हमारे देश के जिन राज्यों की कॉलोनियों की अदला-बदली होगी, वह हैं असम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल है। ऐसे में इस फैसले की जद में आने वाली भारतीय कॉलोनियों में करीब 37 हजार लोग रहते हैं।
वहीं बांग्लादेशी कॉलोनियां में 14 हजार लोग रहते हैं। यानी देश के इन नए 14 हजार नागरिकों को नए पिन कोड का तोहफा आज मिलेगा। भारत की कॉलोनियों में रहने वाले करीब 37 हज़ार लोगों में से 980 लोग ही भारत लौट रहे हैं और ये सभी बेहद गरीब तबके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते की तुलना बर्लिन की दीवार गिरने वाली घटना से करते हुए कहा था कि अगर इस तरह का समझौता दुनिया में कहीं और हुआ होता तो इसे नोबेल सम्मान मिलता, लेकिन हम गरीब देश हैं इसलिए कोई नहीं पूछेगा।
भारत और बांग्लादेश के इस समझौते के चलते जहां बांग्लादेश को 10 हजार एकड़ जमीन मिलेगी, वहीं भारत को सिर्फ 500 एकड़ जमीन मिलेगी।