भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव है। हालांकि अभी दोनों देश सीजफायर पर सहमत हो गए हैं। तनाव के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने के लिए एक अरब डॉलर के लोन को मंजूरी दे दी थी। लेकिन अब एक फैसले में आईएमएफ ने पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगा दी हैं। इसके अलावा पाकिस्तान को चेतावनी भी मिली है। आईएमएफ ने बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी होने के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई हैं। IMF की नई शर्तों के अनुसार ऐसा लग रहा कि ये कर्ज पाक के राहत नहीं बल्कि सबसे बड़ा जंजाल बनेगा।

पाक को मिली चेतावनी

नई शर्तों के साथ पाकिस्तान पर कुल शर्तें बढ़कर 50 हो गई है। IMF ने कहा है कि अगर यह शर्तें नहीं पूरी होती है तो उसे अगली किस्त नहीं मिलेगी। IMF ने पाकिस्तान पर जून 2025 के अंत तक कार्यक्रम लक्ष्यों को पूरा करने के लिए समझौते के अनुरूप वित्त वर्ष 2026 के बजट को संसदीय मंजूरी दिलाने की नई शर्त लगाई है।

IMF रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि संघीय बजट का कुल आकार 17.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये है, जिसमें विकास खर्च के लिए 1.07 ट्रिलियन रुपये शामिल हैं। इसके अलावा पाक को नए कृषि आयकर कानूनों को लागू करना, रिटर्न प्रोसेसिंग, टैक्सपेयर की पहचान और रजिस्ट्रेशन, संचार अभियान और अनुपालन सुधार योजना के लिए एक ऑपरेशनल प्लेटफार्म की स्थापना शामिल है। इसकी समयसीमा इस साल जून है।

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गवर्नेंस एक्शन प्लान करना पड़ेगा पेश

नई शर्त के अनुसार पाक सरकार आईएमएफ द्वारा गवर्नेंस डायग्नोस्टिक असेसमेंट की सिफारिशों के आधार पर एक गवर्नेंस एक्शन प्लान प्रकाशित करेगी। ऐसा सुधार उपायों की सार्वजनिक रूप से पहचान करने और महत्वपूर्ण गवर्नेंस कमजोरियों को दूर करने के लिए किया गया है। इसके अलावा आईएमएफ ने कहा है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी रहता है या और अधिक बढ़ता है तो इसका सीधा असर राजकोषीय स्थिति पर पड़ेगा।

एक अन्य नई शर्त में कहा गया है कि सरकार 2027 के बाद की वित्तीय क्षेत्र की रणनीति और 2028 से संस्थागत और नियामक वातावरण के लिए एक योजना तैयार करेगी और प्रकाशित करेगी। ऊर्जा क्षेत्र में चार नई शर्तें जोड़ी गई हैं। सरकार 1 जुलाई तक वार्षिक बिजली शुल्क पुनर्मूल्यांकन की अधिसूचना जारी करेगी। 2025 तक ऊर्जा शुल्क को लागत वसूली के स्तर पर बनाए रखना है।

रिपोर्ट के अनुसार 15 फरवरी, 2026 तक ऊर्जा शुल्कों को लागत वसूली के स्तर पर बनाए रखने के लिए हाफ इयरली गैस टैरिफ समायोजन की अधिसूचना भी जारी करेगा। इसके अलावा, आईएमएफ के अनुसार पाक संसद इस महीने के अंत तक कैप्टिव पावर लेवी अध्यादेश को स्थायी बनाने के लिए कानून अपनाएगी। सरकार ने उद्योगों को नेशनल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करने के लिए उनकी लागत बढ़ा दी है। संसद डेब्ट सर्विस सरचार्ज पर अधिकतम 3.21 रुपये प्रति यूनिट की सीमा को हटाने के लिए भी कानून अपनाएगी, जो बिजली क्षेत्र की अक्षमता के लिए ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं को दंड देने के समान है।