7 मई, 2025 की सुबह, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। कुछ ही घंटों बाद, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मीडिया को संबोधित करते हुए एक बड़ा बयान दिया: “पाकिस्तान आतंकवाद पर दुनिया को जानबूझकर गुमराह करता है, और साजिद मीर का मामला इसका सबसे जीवंत उदाहरण है।”
यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि एक ऐसा सच था, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर बार-बार नजरअंदाज किया गया। साजिद मीर, 26/11 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड, सालों तक ‘मृत’ घोषित किया गया, लेकिन बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान ने उसे जिंदा “पेश” कर दिया।
जन्म लेते ही झूठ बोलने की आदत… पाकिस्तान की ‘राफेल थ्योरी’ पर विदेश मंत्रालय की दो टूक
जैसा कि इंडियन एक्सप्रेस ने पहले बताया था, मीर पहले भी मुंबई से पहले आतंकवादी हमलों की साजिशों में शामिल रहा है। साल 2003 में उसने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हमला कराने की योजना बनाई थी। इसके लिए उसने लश्कर के एक विदेशी सदस्य विली बिरगिट की मदद ली थी। हालांकि, यह साजिश समय रहते नाकाम कर दी गई। बाद में फ्रांस में विली बिरगिट पर मुकदमा चला, जिसमें उसने मीर की भूमिका का खुलासा किया। जांच में यह भी सामने आया कि मीर पाकिस्तान की सेना में बड़ा अफसर था और आईएसआई से जुड़ा हुआ था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि जब वह लश्कर से जुड़ा था, तब वह आम नागरिक था।
साजिद मीर: पाकिस्तान का सबसे खतरनाक चेहरा
47 वर्षीय साजिद मीर लाहौर का निवासी है और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का वरिष्ठ कमांडर। भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, मीर का नेटवर्क और संगठनात्मक कौशल इतना घातक है कि वह “बाकी सभी को मिलाकर भी सबसे खतरनाक” आतंकवादी ठहराया गया है। मीर कई नामों से जाना जाता है—साजिद मजीद, इब्राहिम शाह, वासी, खली और मुहम्मद वसीम। वह अंग्रेज़ी, उर्दू, हिंदी और अरबी में निपुण है, जो उसे वैश्विक आतंकवाद का ‘कमांडर’ बना देती है। उसके चेहरे पर हल्के दाग और फीकी त्वचा, सुरक्षा एजेंसियों के लिए पहचान का अहम माध्यम बनते रहे हैं।
26/11 की साजिश और ‘कंट्रोल रूम’ से किया गया खून-खराबा
एनआईए की जांच में सामने आया कि मीर ने 26/11 हमलों की प्लानिंग, ट्रेनिंग और ब्रीफिंग में व्यक्तिगत रूप से भाग लिया। हमले के समय, वह कराची स्थित नियंत्रण कक्ष में मौजूद था, जहां से आतंकियों को निर्देश दिए जा रहे थे। यही नहीं, डेविड हेडली जैसे पाकिस्तानी-अमेरिकी एजेंट की भारत में तैनाती और उसे टारगेट चिन्हित करने की जिम्मेदारी भी मीर की ही थी। चबाड हाउस में एक यहूदी बंधक की हत्या का आदेश भी मीर ने फोन पर ही दिया था।
‘मृत’ मीर कैसे ‘जिंदा’ हुआ: पाकिस्तान की दोहरी चाल
2010 और 2019 में मीर के खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ। भारत ने पाकिस्तान से उसकी आवाज के नमूने मांगे, लेकिन हर बार जवाब मिला कि “वह मर चुका है”। लेकिन साल 2022 में पूरा मामला पलट गया। 24 जून, 2022 को जापानी मीडिया हाउस ‘निक्केई एशिया’ ने खुलासा किया कि मीर जिंदा है और पाकिस्तान की हिरासत में है। रिपोर्ट में बताया गया कि FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए पाकिस्तान को यह कदम उठाना पड़ा।
FATF और अंतरराष्ट्रीय दबाव: क्यों हुआ गिरफ्तारी का ‘नाटकीय’ खुलासा?
FATF एक वैश्विक निगरानी संस्था है, जो आतंकी वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर नज़र रखती है। पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में था और उस पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रतिबंधों की तलवार लटक रही थी। मीर की गिरफ्तारी दरअसल इसी दबाव का परिणाम थी। FATF ने पाकिस्तान की कार्रवाइयों पर गौर किया और अक्टूबर 2022 में उसे ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया। लेकिन ये कार्रवाई सतही थी — आज तक न तो पाकिस्तान ने मीर के मुकदमे का कोई विवरण साझा किया, न सज़ा की जानकारी।
FBI ने ‘स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट’ पर $5 मिलियन का रखा था इनाम,
अमेरिका की एजेंसी FBI के मुताबिक, मीर 2001 से लश्कर का वरिष्ठ सदस्य रहा है। उसने 2006 से 2011 के बीच लश्कर के बाहरी अभियानों की कमान संभाली और दुनियाभर में कई आतंकी हमलों की योजना बनाई। 2002 में FBI को मीर का नाम उस वक्त पता चला, जब 11 इस्लामी आतंकवादी अमेरिकी जमीन पर हथियारों और व्हाइट हाउस के नक्शों के साथ पकड़े गए थे। 2012 में अमेरिका ने मीर को ‘स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट’ घोषित किया और 5 मिलियन डॉलर का इनाम रखा। उसके खिलाफ शिकागो की अदालत में हत्या, आतंकियों की मदद और सार्वजनिक स्थानों पर बमबारी की साजिश जैसे संगीन आरोप हैं।
चीन की ढाल और संयुक्त राष्ट्र में अड़चन
2023 में अमेरिका और भारत ने संयुक्त राष्ट्र की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति में प्रस्ताव पेश किया कि मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाए। लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि प्रकाश गुप्ता ने कहा, “अगर हम जानबूझकर आतंकवादियों को बचाने के लिए वैश्विक मंचों का इस्तेमाल करेंगे, तो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक दिखावा बनकर रह जाएगी।”
भारत ने तबाह किया लाहौर का एयर डिफेंस सिस्टम, ड्रोन हमले भी किए नाकाम
साजिद मीर का मामला सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है—यह पाकिस्तान की दशकों पुरानी रणनीति को उजागर करता है: अंतरराष्ट्रीय दबाव के मुताबिक कार्रवाई करना और फिर ‘स्टेट ऑफ डिनायल’ में लौट जाना। पाकिस्तान ने आतंकवादी पालने-पोसने, उन्हें “गुमनाम” रखने और जरूरत पड़ने पर “शहीद” घोषित करने की कुटिल रणनीति बनाई है। मीर को मृत घोषित करना भी इसी का हिस्सा था। लेकिन FATF जैसे संस्थानों की मजबूरी, अमेरिका का दबाव और भारत की लगातार कोशिशों ने आखिरकार पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर किया।
साजिद मीर की कहानी न केवल पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईमानदारी से आतंकवाद के खिलाफ खड़ा नहीं होगा, तब तक ऐसे आतंकी जिंदा रहेंगे—भले ही उन्हें ‘मृत’ घोषित कर दिया जाए। मीर का जीवित पाया जाना, उसकी गिरफ्तारियों पर रहस्य, और चीन जैसे देशों द्वारा सुरक्षा परिषद में उसका बचाव — ये सभी संकेत देते हैं कि आतंकवाद अब सिर्फ एक सुरक्षा मुद्दा नहीं, बल्कि एक जटिल कूटनीतिक खेल बन चुका है।