Pakistan News: पाकिस्तान में 8 फरवरी 2024 को आम चुनाव होना है। इस चुनाव में करीब 12.85 करोड़ मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 266 सदस्य हैं। इनमें से 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें गैर मुस्लिमों के लिए रिजर्व हैं।
अब क्योंकि चुनाव पाकिस्तान में हो रहा है तो यह लाजमी है कि भारत की इसपर नजर रहेगी। भारत के दृष्टिकोण से, पाकिस्तान में चुनाव सिविलियन गवर्मेंट और सेना के बीच शक्ति संतुलन के तरीके के बारे में हैं। अन्य लोकतंत्रों से उलट, साउथ ब्लॉक पाकिस्तान में आर्मी चीफ के चेंज होने को असली पावर ट्रांसफर मानता है।
पाकिस्तानी आर्मी का पाकिस्तान की सियासत में बड़ा दखल है। पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में आर्मी चुनाव में अपने पसंदीदा पार्टी को जिताने के लिए हेरफेर करवाती है। साल 2018 में पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में पाकिस्तान आर्मी ने सियासत की पिच पर बैटिंग करने के लिए पूर्व क्रिकेटर इमरान खान को चुना था। उन्हें पीएम बनाने से पहले नवाज शरीफ को पूरी तरह से साइड किया गया और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
जेल में बंद है इमरान खान
हालांकि अब छह साल बाद होने जा रहे आम चुनाव से पहले इमरान खान को हाशिए पर ढकेल दिया गया है। वो जेल में बंद हैं। इमरान खान को दो अलग-अलग मामलों में 14 साल और 10 साल की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान में आम चुनाव उनकी गैर-मौजूदगी में होने जा रहे हैं। उन्हें पिछले साल मई महीने में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद पूरे देश में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था और इस दौरान कई जगहों पर पाकिस्तानी मिलिट्री के कई संस्थानों और एक सीनियर जनरल के घर में तोड़फोड़ तक की गई थी।
इसके बाद लिए गए एक्शन में इमरान के नंबर 2 पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी सहित PTI के सैकड़ों सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया और कई नेताओं को डराया गया। इस समय इमरान खान पूरी तरह से अलग-थलग हैं, उनकी पार्टी के कुछ नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया है। जहांगीर तरीन और कुछ अन्य नेताओं ने आर्मी के आशीर्वाद से अपनी खुद की पार्टी बना ली है।
नवाज वापस सीन में लौटे
पिछले चुनाव से पहले जहां नवाज शरीफ को पूरी तरह साइड लाइन कर दिया गया था तो वहीं इस बार कहा जा रहा है कि उन्हें आर्मी का पूरा आशीर्वाद प्राप्त है। नवाज शरीफ पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान लौटे हैं। इससे पहले दो बार नवाज शरीफ को आर्मी द्वारा हटाया गया था। साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने और साल 2017 में उन्हें पीएम पद से हटने के लिए मजबूर किया गया था। नवाज शरीफ की व्यापार-समर्थक छवि, भारत और अमेरिका के प्रति उदार रवैया, और उनके भाई शहबाज शरीफ (पाकिस्तान के पूर्व पीएम) के कुशल प्रशासन ने उन्हें पाकिस्तानी आर्मी की गुड बुक्स में वापस ला दिया है।
जरदारी अभी भी महत्वकांक्षी
आसिफ अली जरदारी फिर से राष्ट्रपति बनना चाहते हैं। उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी शहबाज शरीफ की सरकार में विदेश मंत्री रह चुके हैं लेकिन अब पीपीपी वो पार्टी नहीं रही है, जो बेनजीर भुट्टो के समय के दौरान थी। पीपीपी अब सिर्फ सिंध तक सीमित दिखाई दे रही है।
पाकिस्तान में बराबरी का मुकाबला नहीं
पाकिस्तान को करीब से देखने वालों की मानें इस बार भी वहां चुनाव स्वतंत्र या निष्पक्ष होने की किसी को उम्मीद नहीं है। इमरान खान लोकप्रिय हैं लेकिन उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया गया है या फिर परेशान किया जा रहा है। पीटीआई को चुनाव में अपना इलेक्शन सिंबल नहीं यूज करने दिया जा रहा है। रिपोर्ट्स तो ये भी हैं कि इमरान समर्थकों को चुनाव लड़ने नहीं दिया जा रहा है।
क्या है भारत का दृष्टिकोण?
बात अगर भारत के रुख की करें तो यह चुनाव पहले हुए चुनावों से ज्यादा स्पष्ट है। पाकिस्तानी मिलिट्री ने अपनी चॉइस क्लियर कर दी है और कुछ लोगों का मानना है कि 8 फरवरी को हो रहा चुनाव सिर्फ औपचारिकता है। भारत के लिए पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को किया जा रहा समर्थन बड़ा सवाल बना हुआ है और इसी वजह से आज भी दोनों देशों में मतभेदों की खाई बढ़ती जा रही है लेकिन फिर भी पाकिस्तान में हो रहे चुनाव को बड़ा अवसर माना जा रहा है।
बहुत सालों में पहली बार दोनों देशों में करीब-करीब एक साथ चुनाव हो रहे हैं। जब भारत में नई सरकार का गठन होगा तो पाकिस्तान की सरकार भी सिर्फ कुछ ही महीने पुरानी होगी। पाकिस्तानी आर्मी के जनरल असीम मुनीर ने नवंबर 2022 में पद संभाला है। इसलिए संभावित रूप से दोनों पक्षों के लिए अपने तनावपूर्ण संबंधों में लॉग टर्म की ओर देखने की गुंजाइश है।