जर्मनी की एक जिला कोर्ट ने 96 साल की महिला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। जिसके बाद से ये मामला चर्चा में बना हुआ है। दरअसल इस महिला की नाजी युद्ध के दौरान हुए अपराधों में भूमिका संदिग्ध थीं और वह इस मामले का मुकदमा शुरू होने से पहले ही भाग गईं।

महिला पर आरोप था कि वो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजी शिविर में हुई सामूहिक हत्या में सहायता करने और उकसाने में शामिल थीं। इसी आरोप को लेकर गुरुवार को सुनवाई थी लेकिन महिला मुकदमा शुरू होने से पहले ही भाग गई।

महिला का नाम इर्मगार्ड फुरचनर है और इस समय वह 96 साल की हैं। उन पर आरोप है कि वह जब 18 साल की थीं, तो 11,412 लोगों की हत्या में उनका भी हाथ था। इस कम उम्र में वह स्टुटथोफ एकाग्रता शिविर में 1943 से 1945 के बीच एक टाइपिस्ट का काम करती थीं।

वहीं इस मामले में इत्जेहो जिला अदालत के प्रवक्ता फ्रेडरिक मिलहोफर ने जानकारी दी कि आरोपी महिला फरार हैं और वह मेट्रो स्टेशन की ओर एक टैक्सी लेकर सुबह-सुबह अपने घर से निकली थीं।

प्रवक्ता ने बताया कि महिला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया है। बता दें कि अदालत में महिला के खिलाफ आरोपों को तब तक नहीं पढ़ा जा सकता, जब तक महिला वहां मौजूद ना हों। हालांकि अभी महिला की लोकेशन का पता नहीं लग पाया है।

इस बारे में डेर स्पीगल नाम के शख्स का बयान भी सामने आया। उन्होंने बताया कि आरोपी फर्चनर ने कैंप कमांडेंट पॉल-वर्नर होप्पे द्वारा उन्हें दिए गए आदेशों को लिखा था, जिसे 1955 में हत्यारे के सहायक के रूप में दोषी ठहराया गया था।

कहा जा रहा है कि अगर ये मुकदमा चलता है तो जर्मनी में नाजी अपराधों के लिए ये आखिरी सुनवाई के रूप में याद किया जाएगा। जिस समय के ये आरोप हैं, उस समय महिला की उम्र 18 साल थी।

बता दें कि लगभग 65 हजार लोग, जिनमें से कई यहूदी थे, स्टटथोफ मृत्यु शिविर में मारे गए थे। इसमें कई कैदी कुपोषण और बीमारी से मर गए। ये शिविर गैस चैंबर और अन्य जानलेवा उपकरणों से भी लैस था।