सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ ब्रिटेन के हवाई हमले शुरू करने के एक दिन बाद जर्मनी के भी सीधे तौर पर इस जंग में उतरने का रास्ता साफ हो गया है। जर्मन संसद ने इस बाबत लाए गए प्रस्ताव को शुक्रवार को भारी बहुमत से मंजूरी दे दी। यह मंजूरी पेरिस में खतरनाक आतंकवादी हमले के बाद फ्रांस की अपील के मद्देनजर दी गई। संसद ने टोर्नाडो टोही विमान, एक युद्धपोत और करीब 1200 सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दी।
इस प्रस्ताव के पक्ष में 445 वोट और विरोध में 146 वोट पड़े।
इस अभियान के लिए हरी झंडी पेरिस में जिहादियों के सिलसिलेवार हमलों में 130 लोगों की हत्या के तीन सप्ताह बाद आई है। यह अभियान द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विदेश में जर्मन फौज की सबसे बड़ी तैनाती हो सकती है। फ्रांस ने हमलों के बाद आइएस के इराक और सीरिया से खात्मे के लिए यूरोपीय देशों से सैन्य मदद की अपील की थी।
उधर, इराकी प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने कहा है कि इराक का मानना है कि उसके क्षेत्र में किसी भी देश द्वारा जमीनी लड़ाकू बल भेजना ‘शत्रुतापूर्ण कार्रवाई’ कहलाएगा और इससे इसी आधार पर निपटेगा। उन्होंने कहा कि इराक ने किसी भी देश से इस तरह की तैनाती का आग्रह नहीं किया है। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि उनकी टिप्पणियों का आइएस के खिलाफ जंग में अमेरिकी तैनाती पर क्या असर होगा।
जमीन पर सैनिकों की तैनाती की बात को कई बार खारिज करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी इराक में विशेष बलों के 100 कमांडो भेजने पर सहमत हो गए हैं जो सीरिया में छापेमारी करेंगे। इस बीच, दो अमेरिकी सीनेटरों ने देश में अमेरिकी सैनिकों की संख्या तीन गुना करने का प्रस्ताव रखा है।
सीरिया पर अमेरिका नीत हवाई हमले में गुरुवार को ब्रिटेन भी शामिल हो गया। ब्रिटिश संसद हाउस आॅफ कामंस में अहम मतदान के तुरंत बाद रायल एअरफोर्स ने सीरिया में आइएस के कब्जे वाले इलाकों पर बमबारी की। इन नतीजों से पहले बुधवार को हाउस आॅफ कॉमंस में 10 घंटे तक बहस चली। मतदान में हमलों के पक्ष में 397 और विपक्ष में 223 वोट पड़े। इससे पहले ब्रिटेन के रक्षा मंत्री माइकल फालोन ने हमलों में पूर्वी सीरिया में उमर तेल क्षेत्रों पर निशाना साधे जाने की पुष्टि की जो आइएस के नियंत्रण में हैं। फालोन ने हाउस आॅफ कॉमंस में मतदान से पहले व्यक्तिगत रूप से हमलों को मंजूरी दी थी।