एक फ्रांसीसी पत्रकार ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़ने वाले युवाओं पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है। इसमें उन्होंने हिडन कैमरे से जेल में बंद जिहादियों से की गई बातों को शूट किया। पत्रकार ने फिल्म शूट के लिए अपना नाम भी सईद रम्जी रख लिया। इस डॉक्यूमेंट्री का नाम ‘अल्लाह के सैनिक’ हैं।
रम्जी ने खुद का परिचय पेरिस में 13 नवंबर को हमला करने वाले आतंकियों के साथी के रूप में कराया। उन्होंने कहा कि इस फिल्म का उद्देश्य आतंकियों के मन में क्या चल रहा है, यह जानना था। सबसे बड़ी सीख जो मुझे मिली वो यह थी उनमें इस्लाम का नामोनिशां नहीं था। वे दुनिया में सुधार नहीं चाहते। वहां पर केवल परेशान, फिदायीन और आसानी से बरगलाए जा सकने वाले लोग थे। उनका दुर्भाग्य है कि वे इस्लामिक स्टेट के अधिकार वाले इलाकों में जन्मे हैं। यह दुख की बात है।’
रम्जी ने बताया कि ऐसे लोगों से संपर्क बनाने के लिए पहला कदम काफी आसान था। फेसबुक पर जिहाद की बात करने वाले लोगों से जुड़ जाओ और उनसे बात करो। इसके बाद वह लगभग एक दर्जन युवाओं के दल के प्रमुख ‘अमीर’ से मिले। इन युवाओं में कई मुस्लिम और कई धर्मांतरित थे। अमीर फ्रेंच-तुर्क नागरिक था और उसका नाम अउसामा था। पहली ही मुलाकात में अउसामा ने पत्रकार से कहा कि अगर वह फिदायीन हमला करें तो जन्नत उसका इंतजार कर रही है।
पत्रकार के अनुसार अउसामा ने कहा, ‘जन्नत की ओर यही रास्ता है। आओ, भाईजान जन्नत चलें। हमारी औरतें वहां पर हमारा इंतजार कर रहीं हैं। परियां वहां पर हमारी नौकर होंगी। वहां तुम्हारा महल होगा। साथ ही पंखों वाला सोने और रुबी का घोड़ा भी होगा।’ दूसरी बार मुलाकात पेरिस में मस्जिद के पास हुई। उसने कहा,’रॉकेट लॉन्चर के जरिए तुम आसानी से ऐसा कर सकते हो। तुम ऐसा इस्लामिक स्टेट के नाम पर कर सकते हो। इसके बाद फ्रांस सदियों तक डरेगा।’
Read Also: ISIS ने इराक में जलाईं ईसाई धर्म से जुड़ी किताबें, कहा- मिटा देंगे इस मजहब के निशान
अउसामा की गैंग के कई लोग सीरिया भी गए थे। वहां उन्हें तुर्की पुलिस ने पकड़ लिया था और वापस फ्रांस भेज दिया था। अउसामा को पांच महीने जेल में रखा गया। उसे अब भी दिन में एक बार पुलिस थाने में हाजिरी दर्ज कराने जाना होता है। लेकिन वह मैसेजिंग एप्लीकेशन टेलीग्राम के जरिए आतंकियों से जुड़ा हुआ है।
Read Also: पिता के हाथ चूमकर सुसाइड मिशन को अंजाम देने निकला ISIS का 11 साल का आतंकी


