बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए हैं, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। खबर है कि वे देश छोड़ जा चुकी हैं। अब इस बीच चर्चा इस बात की है कि क्या बांग्लादेश में तख्तापलट होने वाला है, क्या सेना के हाथों में सत्ता आ जाएगी?  अब जैसे बांग्लादेश में हाल हैं, इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता। अभी के लिए तो सेना अंतरिम सरकार बनवाने की बात कर रही है, लेकिन बांग्लादेश का इतिहास बताता है कि यहां पर सेना भी सरकार में आ सकती है।

बांग्लादेश में तख्तापलट का इतिहास काफी पुराना है। 1971 में आजादी पाने के बाद बांग्लादेश में सिर्फ पांच सालों तक एक लोकतांत्रिक सरकार चल पाई थी। उसके बाद 1975 में तख्तापलट हुआ और सेना ने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया। फिर 1990 तक बांग्लादेश की सेना ने ही वहां पर सरकार चलाई।

बांग्लादेश में बिगड़े हालात, शेख हसीना ने PM पद से दिया इस्तीफा

2009 में भी शेख हसीना के सत्ता में आने से पहले देश में एक सैन्य समर्थन कार्यवाहक सरकार चल रही थी। ऐसे में बांग्लादेश की सेना और वहां की सरकार के बीच में काफी करीबी रिश्ते देखे जाते हैं। बांग्लादेश की सेना का वैसे तो मानना है कि सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए, लेकिन जब-जब देश में अस्थिरता का दौर आया है, सेना ने सक्रिय रूप निभाते हुए ना सिर्फ सत्ता में अपनी भागीदारी दिखाई है बल्कि कई मौकों पर सरकार बनाने का काम भी किया है।

अब इस बार की स्थिति कुछ ऐसी है कि शेख हसीना देश छोड़कर जा चुकी हैं। आर्मी कह चुकी है कि एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा, लेकिन अलग-अलग विचारों वाली पार्टियों को किस प्रकार से साथ लाया जाए, इस मुश्किल स्थिति में कैसे सभी को एकजुट रखा जाए, यह एक बड़ी चुनौती है। इसी वजह से कुछ जानकार ऐसा भी मानते हैं कि सेना को ही अंत में सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेनी पड़ेगी। अगर ऐसा होता है तो सही मायनों में बांग्लादेश में कई सालों बाद फिर सेना का राज भी आएगा और इसे एक आधिकारिक तख्तापलट भी माना जाएगा।

वैसे बांग्लादेश की सेना भी काफी ताकतवर मानी जाती है। ग्लोबल फायर पावर के मुताबिक बांग्लादेश की सेना में इस समय 175000 सक्रिय सैनिक हैं, 281 टैंक हैं, 13000 से ज्यादा बख्तर बंद वाहन मौजूद हैं। भारत और पाकिस्तान के बाद एशिया में तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट बांग्लादेश का ही है। ऐसे में सेना ताकतवर तो है ही, साथ में बांग्लादेश की राजनीति में एक अहम और सक्रिय भूमिका लगातार निभाती रहती है।